Saturday, 23 September 2017



कुछ कर्म स्वान्त:सुखाय होते हैं -❤️❤️❤️❤️❤️🌱😶🌱
नंदा ,रक्तदन्तिका ,शाकम्भरी दुर्गा ,भीमा और भ्रामरी ----वर्तमान में जागृत हैं और सम्पूर्ण जगत में व्याप्त अपने भक्तों की रक्षा हेतु तत्पर रहती है। 

----
नंदा ,रक्तदन्तिका ,शाकम्भरी दुर्गा ,भीमा और भ्रामरी ----वर्तमान में जागृत हैं और सम्पूर्ण जगत में व्याप्त अपने भक्तों की रक्षा हेतु तत्पर  रहती है। 
मूर्ति रहस्य ---
----
या रक्त दन्तिका नाम देवी प्रोक्ता मयानघ। तस्या: स्वरूपं वक्ष्यामि शृणु सर्वभयापहम्॥
ऋषि उवाच
राजन !- पहले मैंने रक्त दन्तिका नाम से जिन देवी का परिचय दिया है, अब उनके स्वरूप का वर्णन करूँगा; सुनो। वह सब प्रकार के भयों को दूर करने वाली है॥

रक्ताम्बरा रक्त वर्णा रक्तसर्वाङ्गभूषणा। रक्तायुधा रक्त नेत्रा रक्त केशातिभीषणा॥
रक्त तीक्ष्णनखा रक्त दशना रक्त दन्तिका। पतिं नारीवानुरक्ता देवी भक्तं भजेज्जनम्॥
 वे लाल रंग के वस्त्र धाण करती हैं। उनके शरीर का रंग भी लाल ही है और अङ्गों के समस्त आभूषण भी लाल रंग के हैं। उनके अस्त्र-शस्त्र, नेत्र, सिर  के बाल, तीखे नख और दाँत सभी रक्त वर्ण के हैं; इसलिये वे रक्त दन्तिका कहलाती और अत्यन्त भयानक दिखायी देती हैं। जैसे स्त्री पति के प्रति अनुराग रखती है, उसी प्रकार देवी अपने भक्त पर (माता की भाँति) स्नेह रखते हुए उसकी सेवा करती हैं॥

अनया व्याप्तमखिलं जगत्स्थावरजङ्गमम्। इमां य: पूजयेद्भक्त्या स व्यापनेति चराचरम्॥
 इनके द्वारा सम्पूर्ण चराचर जगत् व्याप्त है। जो इन रक्त दन्तिका देवी का भक्ति पूर्वक पूजन करता है, वह भी चराचर जगत् में व्याप्त होता है॥
 एक अनार फ्रिज में सूखने लगा -सोचा कुछ  प्रयोग किया जाये -और अनार को बीच से आधा काट गमले में मिटटी में दबा दिया ---आह्लादिल करने वाले परिणाम --कुछ ही दिनों में अनार की बिज्वाड़ (पौध )---अब तो पौधे बड़े होकर भी लहरा रहे हैं -रक्तदन्तिका ही कहती हूँ मैं अनार को ----कोशिश करके देखें आप स्नेहिल मित्र भी ---पौधे हो जाएँ तो आसपास रोप दें -प्रकृति सज उठेगी -चाहें तो फ्रेश अनार भी बो सकते हैं -जब छोटे-छोटे अंकुर फूटेंगे तो आपको नवरात्र का असली फल मिला अहसास होगा  ---ऐसा मेरा सोचना है.आभा। ......