Wednesday, 27 August 2014

आज की चर्चा लव -जिहाद
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लव-जिहाद ---कई वर्षों से ये शब्द सुनाई दे रहा है |, एक छोटा सा  घाव जिसका  समय पे उपचार न हो सका और वो  कैंसर बन गया | लव हिंदी या उर्दू में जिसका अर्थ ही थोडा या अंशमात्र   हो  ---ये प्यार का विकृत स्वरुप है ,जिसका अर्थ ही  प्यार न होकर infatuation यानि आवेश में बह जानाहै  | प्यार को   किसी व्यक्ति विशेष या जाती विशेष से जोड़ के नहीं देखा जा सकता ,प्यार को परिभाषित करने की कोई तकनीक नहीं है ,ये गवईं गाँव से लेकर ,मिडिल,लोअर मिडिल ,अपर हिन्दू -मुस्लिम -सिख इसाई ,किसी से भी हो सकता है |पर मर्यादा ,सामाजिक असंतुलन ,बदनामी ,ये सब भी सदैव ही जुड़ जाते है इससे | वरना तो प्यार शकुन्तला को हुआ ,प्यार रुक्मणी को हुआ ,प्यार संयुक्ता  को हुआ ,और प्यार सावित्री को भी हुआ | तो लव को प्यार समझने की भूल न करें |
 जिहाद के नाम पे धर्म परिवर्तन के लिए लड़कियों को जो बहकाया जा रहा है (यदि ऐसा है तो ) ये कई वर्षों से सुनने में आ रहा है ,और कुछ उदाहरण भी सामने आ रहे हैं ,इस पर अवश्य ही संज्ञान लिया जाना चाहिये और रोक लगनी चाहिये | आज छोटे -और मंझोले शहरों के बच्चे इंटरनेट से जुड़ के बड़े-बड़े सपने देखते हैं ( जो उस उम्र की हकीकत है ) और येन -केन प्रकारेण उनको पूरा करना चाहते हैं | इसी का लाभ ये नफरत फ़ैलाने वाले सो काल्ड धर्म के ठेकेदार ,हेट-मोंगर्स उठाते हैं | लड़कियां क्यूंकि वर्जनाओं में पली होती हैं तो वो सबसे कमजोर कड़ी होती हैं प्रहार करने के लिए | फिर ,शिक्षा का आभाव , दहेज ,बड़ी शादी ,ससुराल की प्रताड़ना और शादी के बाद भी बंदिश ,इस सब से मुक्ति का सपना और सुंदर जिन्दगी ,माँ-बाप के सर पे कर्जे का बोझ नहीं ,जैसे कई कारण होते हैं कि लडकियाँ इस कुचाल को समझ नहीं पाती है |लड़कियों को छिछोरी और कम अक्ली बोलने  या माता- पिता के पालन-पोषण और संस्कारों को कोसने से कुछ नहीं होता है |किसी भी सोची समझी साजिश की हवा चलती है ,तब न संस्कार काम आते हैं न धर्म की वर्जनाएं |
कहते हैं किसी  व्यक्ति से बदला लेना हो तो उसके बेटे को दोस्त बना के बिगाड़ दो ,वो बिना कुछ करे तबाह हो जाएगा ,और किसी कौम से बदला लेना हो तो उसकी लड़कियों को भ्रष्ट कर दो ,कौम की कौम खत्म हो जायेगी | पर लोग ये भूल जाते हैं की वार उल्टा भी पड़ सकता है | अब लव जिहाद को ही लीजिये यदि तारा जैसी लड़कियां हों तो  कुचक्री परिवार ही तबाही के कगार पे आ जायेंगे | मेरा तो मानना है कि हिन्दुस्थान में हिन्दू-मुस्लिम भाईचारे के विरोधी ही ये सब करवा रहे है ,और दोनों जातियों के कमजोर और ईजी मनी ,या बिना मेहनत के सुखसुविधा चाहने वाले नवयुवक-नवयुवतियां इसमें फंस रहे हैं |वरना तो ये लव-जिहाद मुस्लिम सम्प्रदाय के लिये भी दुःख दायक ही है | एक तरह से देखा जाय तो उनके लडकों को भी पैसे देके और तरह-तरह के प्रलोभन देके बहकाया जाता है इस सब के लिए |फिर मुल्ला मौलवी मदरसों के दरवाजे आधुनिकता के लिए नहीं खोलते हैं | उन्हें बचपन से ही सिखाया जाता है हलाल का खाना ,धर्म को फैलाना ,कौम का विस्तार ,जिहाद पे जन्नत और बहतर हूरें | मेरे सम्पर्क में कई पढ़े लिखे जहीन मुस्लिम नवयुवक हैं जो देश और समाज की उन्नति में निर्णायक भूमिका निभा रहे हैं ,और अपने धर्म का भी सम्मान करते हैं | उन्होंने अपने को बंद नहीं रखा | हम लोगों ने सदियों पहले जब और धर्म-सम्प्रदाय इस दुनिया में आये भी नहीं थे ,इन पण्डे ,पुजारियों से मुक्ति पा ली थी ,ये सब हमारे कर्मकांडों के साधन मात्र हैं ,हमें साधने वाले साधक नहीं ,फिर भी  हमारे बच्चे राम-कृष्ण-हनुमान -माँ के भक्त हैं जब कि हिन्दू धर्म में धार्मिक होने का कोई आग्रह भी नहीं है ,तो एक ऐसे  सम्प्रदायमें  जहाँ पे सबकुछ पवित्र कुरान और मुल्ला मौलवियों की परिधि में घूमता हो  बच्चे यदि कट्टर हों तो उनकी क्या गलती |पर  उनकी ये ही कट्टरता कुछ  हिन्दुओं को भी कट्टर होने पे मजबूर कर रही है |
जहाँ तक लव जिहाद की बात है तो इसका तोड़ राजनीति से , नेताओं से , टी,वी के  बेदिमागी और एरोगेंट एंकर के प्रोग्राम में जा के नहीं निकाला जा सकता | दोनों समाजों  के प्रबुद्ध लोग ,बड़े बूढ़े ,और धार्मिक गुरु ,मिल बैठें ,देश में भाईचारे और सौहार्द्य की सोचे ,दोनों देखें  कि दोनों के ही घर में आग फ़ैल रही है ,जिस देश का खाते हैं उसके लॉ ऑफ़ लैंड को मानें ,तबही इस साजिश से पार पाया जा सकता है | कुछ हद तक ,साजिश का खुलासा होने पे सख्त  कानूनी प्रक्रिया और दंड भी समाधान हो सकता पर उम्मीद कम है क्यूंकि जहाँ से बलात्कार जैसे जुर्म में न्याय में देरी है वहां शादी पे कहाँ पूछ होगी |
लव जिहाद में धोखा देके शादी करना ही नहीं ,प्यार में फंसा के शादी करना फिर  शादी के समय और बाद में दहेज या किसी भी रूप में पैसों की डिमांड करना और अपनी कुत्सित मानसिकता से लडकी को प्रताड़ित करना  ये भी धोखाधड़ी ही है ,इन सब धोखों को क्रिमिनल एक्ट मानना पड़ेगा | सबसे बड़ी बात , सूडो -सेक्युलरों  से और वोट की राजनीती से सावधान रहने की आवश्यकता है |   देश में बहुत सी समस्याएं हैं और देश पुनर्निर्माण की दहलीज पे खड़ा है ,विकास होगा तो हर कौम -धर्म और सम्प्रदाय का होगा ,देश आगे न बढ़े ,और चुनिन्दा विकसित देशों की दादा गिरी चलती रहे ,इसीलिए इस तरह की घटनाओं के लिए बाहरी देशों से पैसा आता है | इस अनैतिक पैसे के आवागमन को  रोकना सरकारों का काम है जिस पे पिछली सरकारों ने ध्यान ही नहीं दिया |आतंकवाद ,लव-जिहाद ये सब विदेशी पैसे पे ही फल फूल रहे हैं |  पैसे आने के ये चैनल बंद होने ही चाहियें |
सबसे बड़ी बात ,जो लडकियाँ लव जिहाद की शिकार बनी है ,वो टी.वी. अख़बारों में अपनी आप बीती बयान  कर रही हैं ,हम रोज किसी न किसी चैनल पे ये देख रहे हैं और प्रिंट मीडिया में पढ़ रहे हैं ,तो क्या हमारी लडकियाँ इतनी नासमझ हैं की अभी भी फसेंगी इस कुचाल में ,या दूसरे  समाज के नवयुवक बिलकुल ही दिमाग से पैदल हैं कि इस का अंजाम देख के भी इस कुचक्र  में फसेंगे | शायद दोनों ही और के समझदार लोगों को मिल बैठ के निष्कर्ष निकलना होगा ताकि प्यार बदनाम न हो और विश्वास बना रहे |

Friday, 22 August 2014

आज अजय ५८ वर्ष के हो गये ,कल ही तो कान्हा का जन्मोत्सव मनाया था और आज अजय का। क्या हुआ वो मेरे पास नहीं हैं तो ,कान्हा भी तो मेरे मन में ही हैं न। तुम हो हमारे साथ अजय ;आज भी कल भी हमेशा , मन के झरोंखों से झांकते ,हर सुख में खिलखिलाते हर दुःख में गले लगाते ,देख तो पाते हो तुम हमें ऊपर से ,बस हम ही ढूंढते रह जाते है तुम्हें , श्रधान्जली अजय ,जन्मदिन की बधाई ,तुम तो कान्हा के पास चले गये मेरी भी अर्जी आई है उसे भी देख लेना ---
( हर क्षण सपना ;सपने में बस तुम )
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सपनों के उपवन में जब भी तुमसे मिलती हूँ ,
किसलय के अधरों की आभा सी बन खिलती हूँ .
सपनो के मनहर झुरमुट ,सघन वन ये मानस मेरा,
यादों के ढहते पर्वत , नयनों से झरते झरने।
मैं जीवन से हार रही या मन निर्मल होना चाहे ,
आत्म हवन अविरल अकम्पित ,
श्रृंगार शून्य तन ,दुःख व्रती मन।
पर ,नहीं हारती ;सूने पथ की राही हूँ ,
मैं रोती नहीं !वारती -मानस मोती हूँ।
जब उपवन में दिख जाता है कोई काँटा ,
दुःख दर्द विरह की कसक और बढ़ जाती है ,
चुपके से आकर, कानों में कुछ कह जाते तुम !
अपने प्रांतर में कांटे ही क्यूँ देखूं मैं ?
हर डाली मैं मुस्कान तुम्हारी आली है
हर क्यारी में पद- चिन्ह तुम्हारे दिखते हैं
शीतल शबनम की बूंदें प्यास जगाती हैं .
सवप्न सरित की लचकीली लहरों
 से
मन प्रांगण का उपवन सिंचित हो जाता है
शांत किन्तु गंभीर वह नि:स्वन तेरा ,
भ्रमरों सा गुंजित होता है मन में मेरे ,
बन कली हवा में झूम-झपक इठलाती मैं
तितली सी खिलती औ पंछी सी गाती हूँ।
जो पौध कीचकों की रोपी थी- संग तेरे ,
बंसी की धुन सी बजती है अब उपवन में
अनियंत्रित भावों से हृदय निनादित होता है ,
सपनों के उपवन में मैं जब तुमसे मिलती हूँ।
दृग युगल सींचते हैं मेरी इस बगिया को
अवसादों के पारिजात गलीचा बुनते हैं
मधुर समीर मह- मह महका देता आंगन
वेदना विदग्ध सपनों को बहलाती हूँ।
मेरा प्रेम नहीं सम्मोहन की हाला
ये प्रेम नहीं विरह -कटु -रस का प्याला
मैं चढके नभ की ऊँची चोटी पर ,
व्यथित चित्त को बोध युक्त कर पाती हूँ
मैने आतप हो जान लिया
विरहा में जल ज्ञान लिया
तन -मन का वह पावन नाता
वह अंतिम सच पहचान लिया
मैने आहुती बन कर देखा
यह प्रेम यज्ञ की ज्वाला है
मिलने के पल दो चार यहाँ
तप यज्ञ कल्प तक चलता ह
सपनों के उपवन में मैं ;जब भी तुमसे मिलती हूँ
हर किसलय के अधरों की आभा सी बन कर खिलती हूँ। ------आभा --

Wednesday, 13 August 2014

                     {(पड़ोसन)}
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***एक बेहद जरुरी ,व्यर्थ सी चर्चा | पड़ोसन; पती की भाभीजी -पत्नीकी मुंहबोली बहन ( कभी छोटी, कभी बड़ी ) | पड़ोसन ; गोलगप्पे के   खट्टे -मीठे पानी के चटकारे सी कभी तीखी ,कभी मीठी महसूस होती हुई |पड़ोसन ;जो घर की बगिया से  बेधडक हरी सब्जी तोड़ले और आपके पती भी इस कार्य में उसका योगदान दे के अपने के खुशनसीब समझें | पड़ोसन ; कभी जी को जलाती कभी खुश करती हुई सी  बिलकुल सोलह साल की उम्र की भांति जो अपनी होते हुए भी कभी  अपनी नहीं होती पर सब से प्रिय होती है | पड़ोसन ;दरवाजों और खिडकियों के पीछे से झांकता एक पवित्र और आवश्यक रिश्ता |
***पड़ोसन ;पत्नी द्वारा  एप्रूवड वो सुन्दरी जिसके आने से घर की नैतिक ईंटें खिसक जायेंगी ये डर किसी पत्नी को नहीं होता |
***कान से समाचार जानने की कस्बाई संस्कृति अब समाप्त हो चुकी है अब तो टीवी है सोसियल मीडिया है पर फिर भी पड़ोसन ने इस संस्कृति को गंवई-गाँव से लेकर शहरों और महानगरों की बड़ी सोसाइटियों में भी सहेज के रखा है | पड़ोसन ;जो चौबीस घंटे में किसी भी समय आपके घर की घंटी बजा सकती है और यदि दरवाजा उढ़का हुआ है तो धडल्ले से खोल के भीतर आ सकती है |मेरी पड़ोसनें ,मेरी सखी से अधिक मेरे पती की भाभीजी  रही हैं | अपने घर परिवार की अन्तरंग बातें और समस्याओं के समाधान सब  अपने इस देवर से ही मिलते थे इनको ,मैं तो केवल चाय पिलाने तक ही सिमित थी |वैसे हमारे घरो की ये पुरानी  परम्परा और संस्कार हैं की पड़ोसन को पूरा सम्मान देना है | पड़ोसनों की उम्र या  रूप रंग नहीं देखे जाते ,इनके तो कानों और इनके शब्दों से ही इनकी पहचान होती है | जितने बड़े और स्वस्थ कान होंगे उतनी ही खबरें झरेंगी मुंह  से |मेरी एक पड़ोसन तो बहुत ही निराली थीं ---कुछ ऊंचा सुनती थीं - मध्यम स्वर में बोलती थीं  पर जाने कैसे जमाने भर के घरों की अन्तरंग बातें उन्हें मालूम होती थीं | मुझे बहुत -बहुत गर्व रहा कि मैं उनकी पड़ोसन रही |
***पर कुछ पड़ोसनें मेरी तरह की भी होती हैं जिन्हें किसी के घर की अन्तरंग बातों में कोई- कोई रूचि नहीं होती ,किसी के घर में घुसने की आदत नहीं होती ,जिन्हें  किसी की बातें सुनके भी उनके बीच में छिपा अर्थ समझ नहीं आता और जिनके लिए इशारे तो काला अक्षर भैंस बराबर होती हैं | ऐसी  पड़ोसन की कहीं कोई पूछ नहीं होती ,जो  कोई चुगली ,छुईं न  खाती  हो ,गप्पी -झप्पी न हो ,तो उसके घर कोई भी पड़ोसन क्यूँ आये  ? आएगी  जी ,हर पड़ोसन आएगी  ! बस हमें कुछ आकर्षण पैदा करना पड़ेगा ,सिलाई ,कढ़ाई,बिनाई ,पाक-कला ,व्रत- त्यौहार ,और गाने बजाने नाचने के गुर सीखने और सिखाने के लिए तैयार रहना पड़ेगा |नये नये मौसमी और ट्रेडीशनल व्यंजनों से पड़ोसिनों का स्वागत करना पड़ेगा |कुछ धार्मिक ,दार्शनिक और साहित्यिक बातें जो आपको हटके बनायें , सबसे बड़ी ट्रिक -हम जैसे नीरस लोगों को सबकी मदद के लिये हर वक्त तैयार रहना पड़ेगा , पड़ोसन बहनें  किसी भी पार्टी या उत्सव के लिए हमारी नयी वाली साडी और ज्वैलरी मांगे तो ख़ुशी -ख़ुशी देने को तैयार रहना पड़ेगा ; तभी, मेरी जैसी नीरस पड़ोसिनों को भी चटखारे वाली पड़ोसिनें मिलेंगी | अन्यथा महानगरों की चाल में तो आप निपट अकेले हो जायेंगे ,कौन पूछेगा आपको | तो ये शब्द  जो पड़ोसन कहलाता है बहुत ही सुंदर और उपयोगी रिश्ता है |पर यदि कालचक्र उल्टा घूमे और आपकी ग्रह-चाल ख़राब हो इस रिश्ते के कोप से अपने को बचाना बहुत मुश्किल होता है |आपको अपनी सारी समझदारी उड़ेल देनी पड़ती है वरना तो इस रिश्ते के पास आपके सारे राज होते हैं --- मेरा तो  मानना है - पड़ोसन को अपनी प्रिय सखी मानें ,उससे सारी  खबरें बड़े मनोयोग  से सुनें पर उन्हें पचा  जाएँ , अपने कोई भी राज या कमजोरी अपनी इस सखी के  हाथ न लगने दें ,वरना तो महिमा घटी समुद्र की रावण बस्यो पडोस !आपको पता है श्रवण -मनन और निविध्यासन द्वारा साक्षात्कार का सामर्थ्य प्राप्त होता है पड़ोसिनों को | ये खबरनवीस आसपास  की  खबरों का  संकलन और संचालन करते -करतेभावातीत अवस्था में रहा करती हैं | अपने स्व को भूल के ,खबरों का अहर्निश जाप करते हुए मधुमय आनन्द को प्राप्त रहती हैं हर वक्त | ऐसी पड़ोसनों को साधने का एक ही गुर ,लो प्रोफाइल , कभी भी उन्हें ये न महसूस होने दो कि तुम उनसे बीस हो हमेशा सोलह ,बारह या दस पे ही दिखाओ अपने को, चाहे- स्त्री सुलभ डाह आपको कितना ही कष्ट क्यूँ न दे ,जरा सी चूक हुई ,सावधानी हटी और दुर्घटना घटी  | असल में समय पे तो पडोसी ही काम आता है ,वास्तव में दान ,पुन्य ,यश ,नाम धन सब फीका है एक अच्छी पड़ोसन के आगे | पर  पड़ोसन से अपनी रक्षा भी जरुरी है |वो बेचारी आपसे प्रेम करती है ( चाहे दिखावेका ) और खबरची का रोल बड़ी पवित्रता से निभाती है |वह माया का ही एक रूप है ,निर्गुण फांस लिए कर डोले ,बोले मधुरी बानी | कितने मकान  बदलने ,कई  सोसाइटियों  में रिहायश पे कई विभिन्नताओं के मध्य एक ही समानता रही-  मिलती जुलती पड़ोसनें |कमोबेश एक जैसे स्वरूप वाली ,समता और न्याय का निरूपण करती सी |  जीवन क्षण भंगुर है पर उसमें एक अदद पड़ोसन की सख्त जरूरत है ,तो आज ही खटखटाइये अपने पड़ोस का दरवाजा और जान - पहचान  बढाइये अपनी  पड़ोसन से |वरना तो आज रिश्ते सड़ी सुपारी की मानिंद हो गये हैं जरा सा सरौता लगा नहीं और कट के गिर पड़े |  ***आभा ***