ईश वंदना( एक बच्चे की शिकायत )
''बैठे ठाले की बकवास ''
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प्रभु तुम आये राम रूप में ,
अवतार लिया दशरथ घर में .
बचपन बीता महलों में औ -शिक्षा विश्वामित्र संग में।
प्रभु तुम आये राम रूप में ,
अवतार लिया दशरथ घर में .
बचपन बीता महलों में औ -शिक्षा विश्वामित्र संग में।
फ्यूचर का टेंशन नहीं था ,नौकरी की तुमको चिंता
कैरियर बनाना क्या होता है ,कोई ऐसी बात नहीं थी .
वन -वन घूमे राक्षस मारे ,ऋषि -मुनिओं से विद्या पाई
मुनिवर के लाड -प्यार में फिर आई कमसिन तरुणाई। .
धनुष यज्ञ में धनुष को तोडा सीताजी से नाता जोड़ा
दोनों ही घर सम्राटों के ,प्यार और ठाठ-बाटों के।
कैरियर बनाना क्या होता है ,कोई ऐसी बात नहीं थी .
वन -वन घूमे राक्षस मारे ,ऋषि -मुनिओं से विद्या पाई
मुनिवर के लाड -प्यार में फिर आई कमसिन तरुणाई। .
धनुष यज्ञ में धनुष को तोडा सीताजी से नाता जोड़ा
दोनों ही घर सम्राटों के ,प्यार और ठाठ-बाटों के।
नयन मिले पुष्प-वाटिका में ,झटपट स्वयंबर तक पहुंचे
जगत -जननी को वर कर तुमने पर्भु पाई वाह-वाही
हे! प्रभु हमे है कैरियर की चिंता फ्यूचर का रहता है टेंशन
जगत -जननी को वर कर तुमने पर्भु पाई वाह-वाही
हे! प्रभु हमे है कैरियर की चिंता फ्यूचर का रहता है टेंशन
बचपन बीता पढने में ,सफल नही तो दो डोनेशन
प्रभु तुमने पिता के खातिर सब सुख ठुकराये थे ,
वन -वन भटके ,भूखे रह कर १४ वर्ष बिताये थे .
राज -रानी सीता माता लक्ष्मण सदृश भाई था
हैंड -मैड थी छोटी कुटिया ,कंद -मूल फल खाना था .
प्रभु तुमने पिता के खातिर सब सुख ठुकराये थे ,
वन -वन भटके ,भूखे रह कर १४ वर्ष बिताये थे .
राज -रानी सीता माता लक्ष्मण सदृश भाई था
हैंड -मैड थी छोटी कुटिया ,कंद -मूल फल खाना था .
कंदमूल और ताज़ी सब्जी पंचवटी में छोटी सी कुटिया
ख़ुशी ख़ुशी हम निकल पड़ेंगे ,सारा जीवन वहीं रहेंगे
पर अब कहाँ ये जंगल के नजारे ,तरसें हम सब शहरी सारे।
लाखों रूपये खर्च करके ,दो दिन एक रात मिलते है
किस पथ किस राह चलना है वो भी टूर वाले पे निर्भर ,
हे !प्रभु हम भी मात-पिता की आज्ञां का पालन करते हैं
उनके कहने से हम डोनेशन से पढते -लिखते हैं .
हे ! प्रभु मात -पिता हमको जब डोनेशन से पढवाते हैं
कर्तव्य हमारा भी बनता है मात -पिता की संसृति को !
ऊपर तक ले जाएँ .हम
हे प्रभु दे वरदान ,घर हमको भी बनवाना है
पैदा करें एक ही बच्चा ,डोनेशन से पढ़वाना है
हे ! प्रभु दे वरदान हमें की हम सच्ची संतान बनें
मात -पिता की इस संसृति को आगे तक ले जायें हम
ई एम आई , डोनेशन संसृति पे आगे बढ़ते जाएँ हम
उनके कहने से हम डोनेशन से पढते -लिखते हैं .
हे ! प्रभु मात -पिता हमको जब डोनेशन से पढवाते हैं
कर्तव्य हमारा भी बनता है मात -पिता की संसृति को !
ऊपर तक ले जाएँ .हम
हे प्रभु दे वरदान ,घर हमको भी बनवाना है
पैदा करें एक ही बच्चा ,डोनेशन से पढ़वाना है
हे ! प्रभु दे वरदान हमें की हम सच्ची संतान बनें
मात -पिता की इस संसृति को आगे तक ले जायें हम
ई एम आई , डोनेशन संसृति पे आगे बढ़ते जाएँ हम
कई युगों में इस कलयुग को आज अमर कर जाएँ हम। आभा
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