Sunday, 8 May 2016

              ''माँ ''
सुनहरा  अक्षर
तेरी माँ -मेरी माँ -
मेरी माँ की माँ ,मेरे  पिता की माँ -
मैं  भी माँ -वो  भी  माँ--
  शहद  तो  कभी  नीम  सी  माँ  -
हमारे  जैसे  घरों  की  ,घर संभालती माँ -
रिश्तों की  माला  का  धागा -माँ -
आफिस जाती  माँ  --
दूसरे  के  घरों  में  काम  करती  माँ  --
जूठे  बर्तन मांजती -झाड़ू-पोछा  करती माँ -
मजदूरी  करती  माँ ,पत्थर  तोड़ती माँ -
सब्जी-फल ,चाय-पकौड़े  का ठेला लगाती माँ .
खेतों  में काम करती  माँ -
कारखानों ,खदानों  में  काम  करती  माँ -
घर में कोई  भूखा न  रहे - भूख नही है -
कहती माँ -
बच्चों के लिए -अपने को  भूलती माँ -
पिता को संभालती माँ -
लाल बत्ती  ,चौराहों  ,मन्दिरों  में  --
भीख  मांगती  माँ  --
ऐसी  माँ  वैसी  माँ  --
माँ ,आई  ,मम्मी ,मदर ,बई ,ईजा  -
न जाने  कितने  संबोधन  वाली  माँ -
राम की माँ , कृष्ण की माँ -
शहीदों  की  माँ  -
क्या  कहूँ  --
चकलों -जेलों  में   बच्चों  को  -
पढ़ाती  संस्कार  देती  माँ  ---
-माँ माआआआआआआआआआआ--
ॐ  की  भांति  ही  सृजन का  नाद  माँआआआआआआआआआअ
  शत-शत  नमन  -चरण वन्दन  --
या देवी  सर्व भूतेषु मातृ रूपेण संस्थिता ,
नमस्तस्ये नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: ||












No comments:

Post a Comment