[ अब सुबह नहीं होगी ]
********************
वो एक अमावस की सुबह ,,
अंधियारा ,कर गई जीवन उषा को ,,
अपना अंधियारा करने को कम ,
मेरे चाँद की चाहत तुझ को भी थी ओ री अमावस ,,
तू खुश होले पर ,वो तो अब भी मेरे पास है
मुझ से दूर नहीं हो सकता , मेरे भीतर समागया .
हरदम महका करता है ,मेरी सासों में रहता है ,
प्रिय का अहसास ,नर्मनाजुक ,प्रेम अनुराग ,
ना पाने की इच्छा ,ना कुछ खोने का डर ,
स्थूल और आत्मा के मिलन में ,संचारित ,,
एक सूक्ष्म स्फुरण ,समाहित होकर ,
मिट जाने की अभिलाषा ,,श्रृष्टि में न मैं न तू ,
अंतहीन समय , अंतहीन यात्रा ,
सागर की लहर लहर हिलोरें लेता ,मिटता बनता।
स्नेहानुराग .......................................
न मिलने की चाह ,न बिछोह का गम .
एक लहर आवाज दे दूसरी को ,
खटखटाये ,तो सुनाई न दे ,
पहली तो मिट चली ,दूसरी मिटने को तैयार ,
अंतहीन प्रतीक्षा ,मिलना बिछड़ना ,
सागर में सामना ,स्नेह का दरिया बन जाना .
प्रेम उलीचना ,महकती हुई यादों से ,
अमावस सीजिंदगानी को स्वर्णिम यादों के झूले झुलाना ,,
तेरे जाने के बाद ,पूर्णिमा की चाहत नहीं है ,
अमावस में ही ढूँढती हूँ तुझको ,,बिना मिलन की चाहत के ................आभा ........
',
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वो एक अमावस की सुबह ,,
अंधियारा ,कर गई जीवन उषा को ,,
अपना अंधियारा करने को कम ,
मेरे चाँद की चाहत तुझ को भी थी ओ री अमावस ,,
तू खुश होले पर ,वो तो अब भी मेरे पास है
मुझ से दूर नहीं हो सकता , मेरे भीतर समागया .
हरदम महका करता है ,मेरी सासों में रहता है ,
प्रिय का अहसास ,नर्मनाजुक ,प्रेम अनुराग ,
ना पाने की इच्छा ,ना कुछ खोने का डर ,
स्थूल और आत्मा के मिलन में ,संचारित ,,
एक सूक्ष्म स्फुरण ,समाहित होकर ,
मिट जाने की अभिलाषा ,,श्रृष्टि में न मैं न तू ,
अंतहीन समय , अंतहीन यात्रा ,
सागर की लहर लहर हिलोरें लेता ,मिटता बनता।
स्नेहानुराग .......................................
न मिलने की चाह ,न बिछोह का गम .
एक लहर आवाज दे दूसरी को ,
खटखटाये ,तो सुनाई न दे ,
पहली तो मिट चली ,दूसरी मिटने को तैयार ,
अंतहीन प्रतीक्षा ,मिलना बिछड़ना ,
सागर में सामना ,स्नेह का दरिया बन जाना .
प्रेम उलीचना ,महकती हुई यादों से ,
अमावस सीजिंदगानी को स्वर्णिम यादों के झूले झुलाना ,,
तेरे जाने के बाद ,पूर्णिमा की चाहत नहीं है ,
अमावस में ही ढूँढती हूँ तुझको ,,बिना मिलन की चाहत के ................आभा ........
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