Monday, 3 November 2014

            ''  स्फोट ''
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 कृष्ण का बोध होना
अस्तित्व का तिरोहित हो जाना
खिलना फूल का  -बिखरना सुगंध का
 टकराना सागर किनारे से लहर का
  भीग  जाना दूर तक फैली रेत का
  और मिटा देना  अपना अस्तित्व
राह देने को दूसरी लहर को
बादल का बरस जाना बिखर जाना
समुद्र से लेकर उसका धन
देना पहाड़ को , बर्फ हो  जाना
पुनरपि नदी का संघर्ष
चलते जाना अनथक, सागर से मिलन को
बिखरने में सुख
मिटने का आह्लाद
कारा से  आजादी
परम् स्वतंत्रता
असीम आनंद
स्व का अनन्त विस्तार
कृष्ण का बोध होना
यानि स्फोट होना आत्मा में
कृष्ण ही हो जाना ||आभा ||


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