- मेरे घरके बागीचे में काम करने एक मजदूर आता था ,नाम था जनेश्वर . गाँव का आदमी ,कमाई का जरिया केवल मजदूरी ,कभी काम मिलगया कभी नहीं मिला .बहुत ही मेहनती जिम्मेदार ,और समय से पहले कभी नहीं जाता था .
इधर कुछ दिनों से वो रोज जल्दी घर जाने लगा ,जब अक्सर ऐसा होने लगा तो मैंने पूछा , बोला ,2 महीने बाद पंचायत चुनाव हैं ,मैंने कहा चुनाव से तुम्हारा क्या मतलब? क्या किसी का प्रचार कर रहे हो? तो जो वार्तालाप हुआ वो चुनाव की आर्थिकी समझने के लिए काफी है ---वोट कैसे लिए जाते है ------------------------------------------------------------ --
मैं ----------------तुम क्यूँ रोज जल्दी जाते हो तुम्हारा चुनाव से क्या मतलब ?
जनेश्वर ----------एंटीजी, [आंटी जी ] गाँव में जितने भी लोग चुनाव लड़ रहे हैं वो सब रात को पार्टी देते हैं .
मैं -----------------तो इससे तुम्हें क्या ,किसी एक की पार्टी में पहुँच के खाना खा लेना ,मजदूरी का क्यूँ नुकसान करते हो .
जने----------------जल्दी जाऊँगा तो एक से अधिक पार्टी में जाने का समय होगा ,
मैं ------------------ तू तो कमजोर सा है ,कितना खायेगा ,बच्चे भी छोटे हैं ?
जने ----------------एंटी जी, हर आदमी चिकन देता है ,एक जगह खाते हैं और बाकी से ले आते हैं ,दूसरे दिन के नाश्ते और
दोपहर के खाने का काम होजाता है .
मैं -----------------तो आज -कल रोज चिकन तेरी तो मौज आगई .
जने ---------------एंटीजी , दारू भी देते हैं .
मैं -----------------तू तो पीता नहीं है फिर दारु का क्या करेगा, देख बेटे तेरे बच्चे छोटे हैं, कहीं-- मुफ्त की समझ के लत मत
. लगा लेना ,[ बड़े होने के नाते हम सो काल्ड बुद्धि जीवी नैतिकता जरुर सिखाते हैं ]
जने ---------------नहीं -नहीं एंटी ,मैं तो अद्धा और पव्वा ले के रख लेता हूँ ,मेरे घर में खूब जमा हो गये हैं .
मैं -----------------तो तू क्या करेगा घर में जमा करके .
जने ,-------------एंटी ,कुछ तो बेच दूंगा , बरसात से पहले अपने बरामदे की छत और रसोई का फर्श डलवाना है ,मेरा
बहनोई है मिस्त्री ,वो बिना पैसे के काम तो करेगा नहीं तो एक हफ्ते के काम के हिसाब से उसके लिए
बोतल रख दूंगा ,मेरा काम मुफ्त में हो जाएगा ,,,सुना है कुछ लोग रूपये भी बाँट रहे हैं ,मैं देर से गया तो
नुकसान हो जाएगा .
मैं ----------------- फिर तुम वोट किसे दोगे ?
जने -----------------देखो एंटी ,जिस बेचारे ने सबसे ज्यादा खर्च किया है ,उसी को तो वोट मिलना चाहिए न ,अपनी अंटी से
पैसा निकालना आसान होता है क्या .आप ही बताओ ???
मैं निरुत्तर हो जाती हूँ .एक गरीब आदमी कुछ दिनों के लिए वी आइ पी बन जता है .भूखे पेट को क्या नैतिक शिक्षा दूँ !और
दूँ भी तो क्या वो मानेगा ?.यहाँ तो करोड़ों के मालिक होने के बाद भी देश को लूट रहे हैं लोग .हमारे देश की आधी से अधिक
जनता कमोबेश इन्ही लोगों जैसी है ,उन्हें कच्चे लालच में भ्रमित करना क्या मुश्किल है .फिर यदि एक छोटे से पंचायत चुनाव में ये हाल है ,बड़े चुनावों में क्या -क्या नहीं होता होगा .शायद ! यही कारण है की कोई भी सरकार समाज को शिक्षित करने में दिलचस्पी नहीं लेती है .......
Tuesday, 26 February 2013
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