शाबर मन्त्र वस्तुतः जंगली मन्त्र हैं और अर्थ एवं उच्चारण की दृष्टि से सर्वथा अशुद्ध होते हैं ये ग्रामीण बोलचाल के प्रतीक हैं और शायद निरर्थक से प्रतीत होने वाले शब्दों के उच्चारण का शरीर में पड़ने वाला प्रभाव ही इनका विज्ञान है एक ऐसी विधा जो आज अपनी अंतिम साँसें ले रही है। ….
वैदिक अथवा अन्य तांत्रिक विद्याओं की तरह इनमे ध्यान ,न्यास ,तर्पण ,मार्जन ,पूजा ,अर्चना। शुद्धि पवित्रता की आवश्यकता नहीं होती। . ……………।
ये मन्त्र स्तुति परक नहीं हैं ,वरनमन्त्र के देव को साधक द्वारा चुनौती पूर्ण भाषा में आज्ञा दी जाती है।
और साथ ही सौगंध और चुनौती दे कर मन्त्र से काम लिया जाता है ,ये शायद इसलिए कि देवाधिदेव महादेव ने यदि स्वयं ही इन मन्त्रों को बनाया है तो वो इनकी स्तुति क्यूँ करेंगे ,आज्ञा ही देंगे और यदि मन्त्र कहना मानने में आनाकानी करे तो धमका देंगे। इन मन्त्रों की सबसे प्रमुख विशेषता है गुरु भक्ति और गुरु पे अंध-विश्वास। ……। तीन लोक नव खंड में गुरु ते बड़ा न कोई ,करता करे न करीसके ,गुरु करे से होई। . … आत्म शक्ति ,खुद पे , अपने मन्त्र पे अपने गुरु पे गुरुर की हद तक विश्वास ये शाबर मन्त्रों की सफलता की मुख्य कड़ी है। …. और शाबर मन्त्रों के अंत में शब्द साचा ,पिंड काचा ,फुरो मन्त्र ईश्वरो वाचा पूर्ण आत्म विश्वास के साथ कहा जाता है अर्थात शब्द को इश्वर की वाणी के रूप में स्वीकार किया जाता है। … कुछ शाबर मन्त्र जो मेरे संज्ञान में है। ………………………………….
१। … पीलिया झाड़नेका , …………… जिसको पीलिया हुआ है उसके सर पे कांसे की कटोरी में तिलका तेल रखे और कुशासे उस तेल को चलाते हुए नीचे लिखे मन्त्र को सात बार लगातार तीन दिन तक पढ़े। …………. "ॐ नमो वीर बेताल कराल ,नारसिंहदेव ,नार कहे तू देव खादी तू बादी,पीलिया कूंभिदाती,कारै-झारै पीलिया रहै न एक निशान ,जो कहीं रह जाय तो हनुमंत जातिकी आन। मेरी भक्ति, गुरु की शक्ति,फुरो मन्त्र ,ईश्वरो वाचा।'' ………………
२। … आधा सर दर्द [माइग्रेन ]मिटाने का ………………………''वन में ब्याई अंजनी ,कच्चे बन फूल खाय। हाक मारी हनुमंत ने इस पिंड से आधा सीस उतर जाय। ''
३। …लकवा ठीक करने का मन्त्र। ………. ॐ नमो गुरुदेवाय नम:. ॐ नमो उस्ताद गुरु कूं ,ॐ नमो आदेश गुरु कूं ,जमीन आसमान कूं ,आदेश पवन पाणी कूं ,आदेश चन्द्र -सूरज कूं ,आदेश नव नाथ चौरासी सिद्ध कूं ,आदेश गूंगी देवी ,बहरी देवी ,लूली देवी ,पांगुलीदेवी ,आकाश देवी ,पटल देवी ,उलूकणीदेवी ,पूंकणीदेवी ,टुंकटुकीदेवी ,आटीदेवी ,चन्द्र -गेहलीदेवी ,हनुमान जाति अन्जनीका पूत ,पवन का न्याती ,वज्र का कांच वज्र का लंगोटा ज्यूँ चले ज्यूँ चल ,हनुमान जाति की गदा चले ज्यूँ चल ,राजा रामचन्द्र का बाण चले ज्यूँ चल,गंगा जमुना का नीर चले ज्यूँ चल ,कुम्हार को चाक चले ज्यूँ चल गुरु की शक्ति ,हमारी भक्ति ,चलो मन्त्र ईश्वरो वाचा। …… ४ सर्व रोग मारक शिव मन्त्र ,…………वन में बैठी वानरी अंजनी जायो हनुमंत ,बाला डमरू ब्याही बिलाई आँख की पीड़ा ,मस्तक पीड़ा ,चौरासी ,वाई ,बली -बली भस्म हो जाय ,पके न फूटे ,पीड़ा करे ,तो गोरखजाति रक्षा करे गुरु की शक्ति मेरी भक्ति ,फुरो मन्त्र ,ईश्वरो वाचा। ……………………।
५ बिच्छूका डंक उतरना , ……………… ''ॐ नमो आदेश गुरु का ,काला बिच्छू कंकरीयाला ,सोना का डंक ,रुपे का भाला,उतरे तो उतारूँ ,चढ़े तो मारूं।नीलकंठ मोर ,गरुड़ का आयेगा ,मोर खायेगा तोड़ ,जा रे बिच्छू डंक छोड़ ,मेरी भक्ति ,गुरु की शक्ति फुरो मन्त्र ,ईश्वरो वाचा। ………. इस मन्त्र का १०८ झाडा नीम की डाल का लगाना है। ……………………… सर्प के विष को उता रने के कई सारे मन्त्र हैं मैं एक लिख रही हूँ , ………………. ॐ नमो पर्वताग्रे रथो आंती,विटबड़ा कोटि तन्य बीरडर पंचनशपनं पुरमुरी अंसडी तनय तक्षक नागिनी आण,रुद्रिणी आण,गरुड़ की आण। शेषनाग की आण ,विष उड़नति,फुरु फुरु फुरु ॐ डाकू रडती ,भरडा भरडती विष तू दंती उदकान ''….
६.…. नजर उतारने का मन्त्र। ……………''ॐ नमो सत्य नाम आदेश गुरु को ,ॐ नमो नजर जहाँ पर पीर न जानि ,बोले छल सों अमृत बानी। कहो कहाँ ते आयी ,यहाँ की ठौर तोहे कौन बताई। कौन जात तेरी का ठाम,किसकी बेटी कहो तेरो नाम ,कहाँ से उड़ीकहाँ को जाया ,अब ही बस करले तेरी माया।मेरी बात सुनो चित्त लगाय,जैसी होय सुनाऊँ आय। तेलन तमोलन चुहडी चमारी ,काय थनी ,खतरानी कुम्हारी। महतरानी,राजा की रानी ,जाको दोष ताहि सर पे पड़े ,हनुमत वीर नजर से रक्षा करे। मेरी भक्ति ,गुरु की शक्ति फुरो मन्त्र ,ईश्वरो वाचा।'' … इस तरह इतने शाबर मन्त्र हैं की पूरा एक बड़ा ग्रन्थ बन जाए। स्वमूत्र चिकित्सा भी शाबर मन्त्रों पे ही आधारित है ,जिसमे शिवजी ने पार्वती को इसके नियम बताये हैं। ….इन शाबर मन्त्रों के रहस्य को समझना बहुत ही मुश्किल है. आज ये विधा अपनी समाप्ति की ओर है। इसमें गुरु का ही महत्व है वो ही बताता है किकिस मन्त्र को कैसे सिद्ध करना है और कितनी बार पढना है। . और एक सबसे अहं बात ये मन्त्र कमाई का जरिया नहीं बन सकते। ये तो सेवा और कल्याण के लिए होते हैं … अवश्य शब्दों से निकलने वाली तरगें ही इनके पीछे का विज्ञान होंगी और कितने बार और किस वृक्ष की छाया में बैठ के इन्हें बोलना है। … मैंने देखा है की जैसे सांप के काटने की दवाई उसके ही जहरसे बनती है वैसे ही इन शाबर मन्त्रों में भी रोग के मुताबिक़ ही शब्द बोले जाते हैं और उच्चारण में उतार चढाव, आवाज की दृढ़ता और तीव्रता होती है। कैंसर के मन्त्र में तो जो शब्द हैं सुन के ही लगता है मानो, सर्जरी हो रही है ,…। काश ये विधा आज भी जीवित हो कहीं। …. तो शोध का विषय बन जाए। मुझे पता है बुद्धि जीवियों को ये बकवास लगेगी पर यदि दिमागी घोड़े दौड़ाएंगे और सोच को विस्तृत करेंगे तो इन शाबर मन्त्रों में वही चमत्कार है जो घंटे ,घडियाल। शंख ,मृदंग और वीणा मे या यूँ कहें संगीत में होता है। … शिव शक्ति को समर्पित।,,,,,,,,,, आभा ,,,,,,,,,,,,
Very useful post. Jaundice natural treatment provides long term relief to cure jaundice naturally.
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