आज सम्प्रभु होने का मन कर रहा है --शिवोहम जैसा -- गण आज के दिन काफी महत्वपूर्ण होता है ,सभी से उसे अपने तन्त्र की बधाई मिलती है :) मैंने भी दी सभी मित्रों को ,और सच में गण -गण जैसा महसूस होने लगा --शिवजी के गण भी अपने में शिवोहम वाली फीलिंग ही रखते होंगे शायद ,तभी तो '' कोई मुख हीन ,विपुल मुख काही '' के बाद भी देवताओं के साथ-साथ ही ठसके से बरात में चले नाचते -गाते ---तो बस ऐसे ही मैं भी गण वाली फीलिंग में डूबने उतराने लगी जब गणतन्त्र दिवस परेड देखी ---कितनी मेहनत ,कितना समर्पण , भारत की उन्नति का एक संक्षिप्त कैटलॉग -- सेना के तीनों अंगों का प्रदर्शन मुझे बहुत भाता है , फिर मेरी पसंद है स्कूली बच्चों का प्रदर्शन :) और झांकियां तो देश के प्रदेशों में झाँकने का जरिया हैं --पर आज मेरे मन में एक बात आयी ---गण के महत्वपूर्ण होने पे इच्छाएं उछाल मारती ही हैं ;) ----तो जनाब आज मैंने सोचा :D --जी हाँ गण भी सोचते तो हैं ही --हमेशा थोड़े ही गुलाम रहेंगे ;) --कभी तो सोचेंगे ही ---तो साहब मैंने सोचा -----काश -काश -काश --देश के विकास को दिखाती इन झांकियों में दो झांकियां देश के नीतिनियंताओं की भी होतीं --एक में ----------------अवकाश प्राप्त वयोवृद्ध --कुछ ईमानदार ,कुछ मार्गदर्शक ,कुछ दलबदलू अवसरवादी ,कुछ लम्पट :( --कुछ ज्यादा ही हो गया --पर ये तो गणतन्त्र के गण की इच्छा है मैं क्या करूँ आज का दिन ही ---
--- ॐ गणानां त्वा गणपतिं हवामहे-----गण के आह्वान और प्रतिष्ठापन का दिन जो है , वो भी संविधान प्रदत्त प्रतिष्ठापन ;)
और दूसरी में ----आज के नवजवान ,43 से 46 वर्ष के लड़के ---परिवारो की विरासत संभाले हुए --कमोबेश हर भारतीय पार्टी के लाडले बेटे और बेटियां --नाचते गाते , देश के विकास की कोई थीं लेके आते -- आखिर सबसे अधिक प्रगति तो ये ही कर रहे हैं --कुछ न करके भी स्वयंभू -सम्प्रभू --गणों को पीछे ढकेल तन्त्र पे कुंडली मार के बैठे हैं ---मानो देश --इनके बाप की विरासत हो ----
होनी चाहिये हिन्द के नीतिनियंताओं ,कर्णधारों ,नेताओं की एक झांकी --आखिर इन्हें भी तो पता चले ये क्या करते हैं इसे साफगोई से ये कैसे दिखाएँगे --
--- ॐ गणानां त्वा गणपतिं हवामहे-----गण के आह्वान और प्रतिष्ठापन का दिन जो है , वो भी संविधान प्रदत्त प्रतिष्ठापन ;)
और दूसरी में ----आज के नवजवान ,43 से 46 वर्ष के लड़के ---परिवारो की विरासत संभाले हुए --कमोबेश हर भारतीय पार्टी के लाडले बेटे और बेटियां --नाचते गाते , देश के विकास की कोई थीं लेके आते -- आखिर सबसे अधिक प्रगति तो ये ही कर रहे हैं --कुछ न करके भी स्वयंभू -सम्प्रभू --गणों को पीछे ढकेल तन्त्र पे कुंडली मार के बैठे हैं ---मानो देश --इनके बाप की विरासत हो ----
होनी चाहिये हिन्द के नीतिनियंताओं ,कर्णधारों ,नेताओं की एक झांकी --आखिर इन्हें भी तो पता चले ये क्या करते हैं इसे साफगोई से ये कैसे दिखाएँगे --
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