रामाद् याञ्चय मेदिनिम् धनपते बीजम् बलालांगलम्।
प्रेतेशान महिष: तवास्ति वृषभम् त्रिशूलेन फालस्तव।।
शक्ताहम् तवान्न दान करणे, स्कन्दो गोरक्षणे।
खिन्नाहम् तवान्न हर भिक्ष्योरितिसततं गौरी वचो पातुव:।।
प्रेतेशान महिष: तवास्ति वृषभम् त्रिशूलेन फालस्तव।।
शक्ताहम् तवान्न दान करणे, स्कन्दो गोरक्षणे।
खिन्नाहम् तवान्न हर भिक्ष्योरितिसततं गौरी वचो पातुव:।।
पार्वती जी शंकर जी को उनकी दरिद्रता पर उलाहना दे रही हैं। आप का भिक्षाटन ठीक नहीं है इसलिए आप भगवान राम से थोड़ी सी भूमि, कुबेर से बीज और बलभद्र से हल माँग लीजिए। आप के पास एक बैल तो है ही, यमराज से भैंसा माँग लीजिए। त्रिशूल फाल का काम देगा। मैं आप के लिए जलपान पहुँचाऊँगी। कार्तिकेय पशुओं की रक्षा करेंगे। खेती करिए, आप के निरंतर भिक्षाटन से मैं खिन्न हूँ।
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