Saturday, 13 May 2017

आज माँ का दिन ,मई का दूसरा रविवार ,माँ को समर्पित -
,,मदर्स डे ,,,
होना भी चाहिये माता पिता का दिन -
सारे दिन तो बच्चों के ही होते हैं ,कहाँ  देख पाते हैं हम 44 डिग्री की गर्मी में रसोई में खटती माँ को ,
सारे दिन पसीने में दौड़धूप करते अनथक थके माता-पिता को -
पर ये इमोशन ये पैशन एक दिनी ही होकर रह जाते हैं -
व्हट्स आप पे मैसेज और अमेजन से गिफ्ट ,हमारी संतति के इमोशन पे बाजार हावी है ,जकड़ गए हैं फंस गए हैं सब बाजारू चाल में --
मेरे बच्चे नहीं लिखते कहते मुझे happy mothers day --शायद मैं happy हूँ इसलिये --वो मेरा सुख-सुविधा का ध्यान रखते हैं हर पल ,कुछ देर चुप बैठ जाऊं --तो तबियत तो ठीक है पूछ-पूछ के मुझे इरिटेट कर देते हैं - सोच रही थी -क्या हम लोग मॉडर्न [आधुनिक [नहीं हैं ?
??????????????????????
एक पुरानी पोस्ट आज के दिन पे ---


 इमोशन्स ,पैशन और संवेदनशीलता के साथ मनाया जा रहा है '' माँ का दिन'' ,,यूँ लगता है मानो माँ को जमीं से उठा कर सिंहासन पे बिठाने कीही 
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देर है उसकी औलादों के द्वारा ,,अपनी माँ की कुर्बानियों के किस्से और उन पे निछावर होने के लिए उत्सुक संतान ,अरे माँ के बेटे बेटियों माँ क्या है !एक हाड़ मांस का पुतला जो एक दिल भी रखती है ,तुम रोटी ,,पद ,प्रतिष्ठा के लिए उसे छोड़ के चले आये हो , कभी पूछा है उससे जो एक क्षण भी तुम्हारे बिना नहीं रह सकती थी ,[,और तुम भी ]आज केवल तुम्हारी भूख के कारण तुम से दूर है ,वो आज भी चाहती है बच्चे की भूख शांत हो [चाहे वो कैसी भी हो ] तुम्हारे बचपन में तुम उसे देखते थे अपने लिए खटते हुए  ,वो आज भी तुम से दूर रह कर वही कर रही है ,वो तुम्हारे पास रहना चाहती है ,क्या रख------------- पाओगे ?क्यूँ दूर रखा है उसे ,और बचपन की यादे,माँ की जिजीविषा ,समर्पण - कर्तव्य -परायणता के किस्से गा -गा कर आप मातृभक्त  नहीं हो जाओगे ,अपने पुश्तैनी घर को आप छोड़ चुके है ,कोई परदेस  ,कोई विदेश में बस गया है ,माँ -पिता छूट चुके हैं अपनी संतानों के लिए प्रार्थना करते हुए , उनकी उन्नती की कामना करते हुए ,साथ ही अपनी संतति के लिए संपत्ति की रक्षा करते हुए ,माँ तो बूढी हो गयी है पर आज भी तुम्हारे घर आने पे तुम्हारी पसंद का खाना बनाती है ,तुम्हारे साथ तुम्हारी पसंद और जरूरत का सामान बांध देती है तुम्हारे चलने पे ,प्रतिदिन एक फोन को बनता है माँ के नाम  या वो भी कर्याधिकता का बहाना ले कर ???? माँ नहीं चाहती है मदर्स डे !!उसने किसी लालच वश हमें नहीं पाला है -उसका प्यार तो समर्पण और कर्तव्य की पराकाष्ठा है ,वो संसार को पालती है बिना धैर्य खोये ,बिना किसी पूर्वाग्रह और आकांक्षा के ,मदर्स डे मनाइये खूब धूम-धाम से मनाइये पर ये याद रहे माँ को इस दिन की दरकार नहीं है ये आपकी आवश्यकता है ,इसी बहाने आप एक दिन घर के कोने में पड़ी रात -दिन खटती माँ को याद करके अपने को संतुष्टि देते हैं ,वरना तो मदर्स-फादर्स डे हर-डे ही होता है ,भला जन्मदाताओं को याद करने को भी कोई एक दिन होना चाहिए  ?पर चलो कुछ न होने से कुछ तो है ,अब माँ इंतजार तो कर सकती है मदर्स डे का ,अपनी संतानों की चहचहाती हुई आवाज सुनने के लिए ,इसमें भी सुकून है ,सब से अनुरोध है अपनी माँ को एक फ़ोन कर लेना निगोड़ों ----

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