स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवा स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः।
स्वस्ति नस्तार्क्ष्यो अरिष्टनेमिः स्वस्ति नो बृहस्पतिर्दधातु॥ ---
पुरातन से चलते चलते रक्षासूत्र एक लम्बा सफर तय कर अब एक नए स्वरूप में ढल चुका है ,अब ये विशुद्ध भाई-बहन का त्यौहार है।
आज बाजार का त्यौहार भी हो गया है ये।
जैसा देश वैसा भेष तो अब इसका यही स्वरूप मान्य है कम से कम बेटी की जरूरत तो महसूस होगी।
राखी बंधन ,यानी एक ऐसा रिश्ता जिसे रखके पालना पड़ता है | बीतते समय के साथ जब भाई बहन के अपने परिवार हो जाते हैं तो ये रिश्ता ही जीवन की नीरसता में स्वाद लेके आता है ,बिलकुल खट्टे मीठे आचार की भांति | जिसे बनाने और बनने की प्रक्रिया में बहुत सावधानी रखनी होती है थोडा सी चूक ! और- स्वाद से लेकर खुशबू तक सब बिगड़े | सुधरने की गुंजायश हो तो ऊपर की परत जो बिगड़ गयी है को खुरच के आग में या धूप में पकाने की जटिल और निरंतर प्रक्रिया सावधानी हटी और दुर्घटना घटी |
रक्षाबन्धन अब अपनी पुरानी मान्यताओं को छोड़ता हुआ केवल भाई-बहन का त्यौहार ही होके रह गया है | असल में ,ये है तो लम्बी उम्र और शुभकामनाओं की दुवाओं का ही त्यौहार ,रक्षा सूत्र चाहे कोई भी बांधे ; वो युद्ध में जाते हुए राजा ( अब सैनिक ) की माँ हो या पत्नी हो , भाई की लम्बी उम्र और सुंदर भविष्य की कामना करने वाली बहिन हो ,घर खानदान के पंडे हों जो जजमान की रक्षा के लिए अभिमंत्रित रक्षा सूत्र लेके आये हों या अपनी रक्षा की गुहार लगाती बहनें हों चाहे विधर्मी ही हों ,ये एक अटूट विश्वास ,प्यार ,सद्भावना और जीत के भरोसे का बंधन है | रक्षा बंधन उपनिषदों -पुराणों के काल से लेकर आज तक अपनी पूरी ठसक और रंगीनी के साथ समाज की उत्सवधर्मिता को जीवित रखे हुए है यही इसकी विशेषता है | हमारी संस्कृति में तो किसी भी पूजा अर्चना की शुरुआत ही रोली-मौली से होती है और यही है रक्षा सूत्र बाँधने का मूल स्वरुप |
राखी बांधने का मन्त्र --------------
येन बद्धो बलि राजा दानवेन्द्रो महाबल ,
तेन त्वां अभि बधनामी रक्षे माचलमाचल् ||
इस मन्त्र में खास बात ये है कि जब शचि ने इंद्र के हाथ में राखी बांधी थी तो उसने कहा ,"तेन त्वां अनु बधनामी रक्षे माचलमाचल् '' सब आपके अनुकूल होवें और आपको विजय मिले | कहा जाता है इस पर्व की शुरुआत शचि से ही हुई | कालान्तर में यह अपना रूप बदलता गया | यदि गुरु या ब्राह्मण रक्षा सूत्र बांधे तो रक्षा की कामना करे ,'तेन त्वां रक्ष बधनामी रक्षे माचलमाचल्" , और बहन अपने भाई की उन्नति ,की कामना से बांधे , वो सचरित्र होवे ,ऊँचा उठे जीवन में ,स्वस्थ होवे और समाज के लिए शुभ होवे तो " तेन त्वां अभि बधनामी रक्षे माचलमाचल् " मन्त्रों में बहुत शक्ति होती है ,शब्द ब्रह्म है ये तो हम सब जानते हैं और जब उन शब्दों को मन्त्र का रूप मिल जाता है तो उच्चारण मात्र से जो कम्पन होता है वो सकारात्मक चक्र बना देता है हमारे चारों ओर| मंत्रोच्चार के साथ राखी मनाइए |
बलि को लक्ष्मीजी ने राखी बाँध विष्णु भगवान को छुड़वाया था -
और भी कई कहानियां हैं इस त्यौहार के भाईबहन का त्यौहार होने की -
सभी भाइयों की कलाईयों पे राखी के रूप में बहना का प्यार झिलमिलाये , कन्या भ्रूण हत्या का उन्मूलन हो ,समाज को सद्बुद्धि आये ,सभी को राखडी की शुभकामनायें | श्रधा विश्वास और प्रेम का पर्व है इसे ऐसे ही मनाया जाये | कन्याओं का संवर्धन और संरक्षण हो ,शुभ हो ये पर्व |
रक्षाबंधन की शुभकामनायें सभी फेसबुक भाई बहिनों को। ये ऐसी चौपाल है जहां रिश्ते मानसिक हैं --संबंध जोड़ने वाले तार अदृश्य हैं आसमानों में -ईश्वर भी अदृश्य ही है तो मानो तो मैं गंगा माँ हूँ -न मानो तो ----मंगलकामना राखड़ी पर्व की --
फेसबुक दीदी का आशीर्वाद छोटों को बड़ों को नमन पैलाग -चरणस्पर्श -
तनमन की थकन है चेहरे पे पर पर्व में फोटू तो बनती है ताकि सनद रहे ---
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