काश ख्वाबों में ही
काश ख्वाबों में ही आ जाओ
बहुत तन्हा हूँ
बहुत तन्हा हूँ
काश ख़्वाबों में ही आ जाओ
बहुत तन्हा हूँ
बहुत तन्हा हूँ
काश ख्वाबों में ही आ जाओ
या मेरे जहन से यादों के दिए गुल कर दो
मेरे अहसास की दुनिया को मिटा दो हमदम
रात तारे नहीं अंगारे लिए आती है
इन बरसते हुए शोलों को बुझा दो हमदम।
दिल की धड़कन को सुला जाओ बहुत तन्हा हूँ
बहुत तन्हा हूँ
काश ख्वाबों में ही आ जाओ
अँधेरी रात में जब चाँद खिलने लगता है
तुम्हारे प्यार के दीपक जला के रोता हूँ
तुम्हारे आने की जब आस जाने लगती है
मैं उन चिरागों को खुद ही बुझा के रोता हूँ
जिंदगी ऐसी मिटा जाओ बहुत तन्हा हूँ
बहुत तन्हा हूँ
काश ख्वाबो में ही आ जाओ
सोचते सोचते जब सोच भी मर जाती है
वक्त के कदमों की आहट को सुना करता हूँ
अश्क थमते हैं तो आहों का धुँआ उठता है
रात भर यूँ ही तड़पते हुए चला करता हूँ
भारी गम कुछ तो घटा जाओ बहुत तन्हा हूँ बहुत तन्हा हूँ
काश ख्वाबों में ही आ जाओ