Monday, 2 October 2017

जोहानिसबर्ग में गांधी -जब उन्होंने गीता पढ़नी शुरू की ---
थियोसोफी सोसाइटी ने गांधी जी को हिन्दू विचारों से परिचित होने के लिये उन्हें अपने मण्डल में शामिल करने की इच्छा व्यक्त की। गांधी तो अंग्रेजी माध्यम से वकालत पढ़े थे। हिन्दू संस्कृति पे क्या बोलते ? उन्होंने गीता पढ़नी शुरू की --
''गीता पर मुझे प्रेम और श्रद्धा तो थी ही अब उसकी गहराई में उतरने की आवश्यकता प्रतीत हुई। मेरे पास एक दो अनुवाद थे। उनकी सहायता से मैंने मूल संस्कृत समझ लेने का प्रयत्न किया और नित्य एक दो श्लोक कंठस्थ करने का निश्चय किया।
प्रात: दातुन और स्नान के समय का उपयोग गीता के श्लोक कण्ठ करने में किया। दातुन में पंद्रह और स्नान में बीस मिनट लगते थे। खड़े-खड़े करता था। सामने की दीवार पर गीता के श्लोक लिख के चिपका देता था और आवश्यकतानुसार उन्हें घोटता जाता था। पिछले श्लोकों को भी दोहरा लेता था। इस तरह गीता के तेरह अध्याय मैंने कण्ठ क्र लिए।
इस गीता का प्रभाव मेरे सहकर्मियों पर क्या पड़ा मुझे नहीं पता पर मेरे लिये यह पुस्तक आचार की प्रौढ़ मार्गदर्शिका बन गयी। यह मेरे लिए धार्मिक कोष का काम देने लगी। अपरिग्रह समभाव आदि शब्दों ने मुझे पकड़ लिया। ''
---'' The Story of My Experiments with Truth  the autobiography of Mohandas K. Gandhi, -''के हिंदी अनुवाद '' सत्य के प्रयोग '' से ---
गांधी जयंती पे नमन मोहनदास करमचंद गांधी ---घोटने की विधा हमने गांधी से ही सीखी ,हमारे बचपन में आत्मकथा पढ़ने का बहुत चलन था --

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