Saturday, 24 March 2018



रामनवमी बधाई और पितृ प्रसाद 
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राम अब तुम्हारी न चलेगी
अब तो है रम का राज्य 
ररररराम तुम दीर्घ रूप हो 
रम तुम लघु रूप हो 
जब लघु से ही बनते काम 
तब दीर्घ का क्यों लें नाम 
राम तुमको जपने से 
ऋषि हो गए ग्यानी 
रम को पीने से मानव हो जाता वि --ग्यानी 
 विज्ञान का युग ही तो है ये   कलयुग।  
 राम अब रम की ही सजती  हैं दुकानें 
चमचमाते शीशों के पीछे 
जगमाती दुकानों में रम 
बड़े करीने से जाती सजाई
जितनी पुरानी उतने सुंदर लिबास में
पर राम तू तो है सबसे पुराना  
 तुझे तो तम्बू में ही रहना होगा 
क्यूंकि तू दीर्घ है ,सनातन है
आज की पीढ़ी के लिए रूढ़ि है
तुझे ये  अपमान सहना  होगा !
राम ! तू जनजन में क्या समाया 
तुझे घर से ही बेघर कर दिया 
तेरा मंदिर एक म्लेच्छ ने तोडा 
और हम अब तक देख रहे हैं -
वो सौदाई हैं वोट के 
वो नेता हैं -तेरा जन्म हुआ !
यही नहीं मानते -
तू जो कण-कण में समा गया 
बहस का विषय हो गया !
तुझे एक जरा सी जगह पे क्यों पूजें ?
बुद्धिजीवी यही तर्क हैं देते। 
हर शहर ,गाँव गली मुहल्ले में 
कितने ही रूपों में मिलती रम 
सस्ती से सस्ती महंगी से  महंगी 
ऐसे ही जैसे  तेरी तस्वीर या मूरत
कागज से लेकर चंदन से बनतीं 
रूपये से लेकर अरबों में बिकती ,
पर राम तू -क्यों  कण- कण में जा बसा  
तुझे रहना था अयोध्या ही में। 
तूने रावण जैसे शिवभक्त 
का किया था शिरोच्छेदन 
क्यूंकि ,  वो हो गया था पथभ्रष्ट! 
आज हैं  हम सभी पथभ्रष्ट  -
रम के नशे में है आधी आबादी -
पुनर्संस्थापन मांगती है  जगती 
तो क्या -प्रकृति बदला लेगी? 
हाँ ! मैं भी चाहती हूँ !
प्रकृति के रौद्र रूप में आओ राम -
एक नहीं अब लाखों हैं रावण-
जानकी का होता रोज ही हरण !
सब पे करना होगा शरसंधान। 
हे माँ सीता! राम का प्राकट्य दिवस 
कैसे दूँ बधाई ?
 मेरे इष्ट की मूर्ति तम्बू में है - 
क्षमा करो राम हमें  क्षमा करो 
तुम हो हममें  समाये 
पर , जन्मस्थान की गरिमा 
हम न संभाल पाए 
एक आतातायी के कुकर्म को 
हम आज तक हैं ढोते 
हर वर्ष नवरात्रि पे 
शक्ति आराधना कर 
रामनवमी की खोखली 
बधाई कहते -
हम तेरी नकारा संतानें हैं 
भेड़ हैं -बस-
 शुभकामनायें देने को अभिशप्त
 सुरा सुंदरी का ही वर्चस्व 
रम में हैं डूबे युवा एक तिहाई 
 है लक्ष्मण बिन सूनी  ठकुराई ,
गूँज रही रामनवमी की बधाई -
तेरे लिए बधाई ,मेरे लिए बधाई 
सबके लिए बधाई ,खूब बाजे बधाई 
पर राम तुझे कैसे दूँ बधाई !
राम ! तेरा नाम अब वोटों की फसल है 
मौसिम पे बस नेता ही करते हैं कटाई 
देके प्रजा को रम की बाटली की दुहाई
राम नाम की फसल काटते है सौदाई-
कैसे दूँ रामनवमी की बधाई  ।।आभा।।







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