17 july 2015 ---ठीक से याद नही -शायद अथर्वेद को खोल के बैठी होऊँगी--तभी ये लिखा होगा ---आज फिर वही दिन वही आशीष वेदों से लोक में घूमता हुआ उस पीढ़ी से इस पीढ़ी तक पीढ़ी दर पीढ़ी ---
पश्येम शरदः शतम् ।।१।।
जीवेम शरदः शतम् ।।२।।
बुध्येम शरदः शतम् ।।३।।
रोहेम शरदः शतम् ।।४।।
पूषेम शरदः शतम् ।।५।।
भवेम शरदः शतम् ।।६।।
भूयेम शरदः शतम् ।।७।।
भूयसीः शरदः शतात्।।८।।
विकास की कीमत पे दस वर्ष से अधिक उम्र के वृक्षों का कटान तो प्रतिबंधित होना ही चाहिए साथ ही उससे छोटे जितने भी पेड़ काटे जाएँ उन्हें आधुनिक तकनीक से दूसरी जगहों पे रोपने की कोशिश हो तब ही हरेला जैसे आंचलिक पर्वों की आत्मा का अनुसरण होगा -
कुछ समय तक घरों में गमलों पे पेड़ लगाये जाएँ स्वस्थ होने के बाद उन्हें जमीन दी जाये -पर ऐसी जमीन जहाँ दो तीन वर्ष तक देखभाल हो सके -यही संकल्प हो हमारा -
मेरे जामुन इमली अनार अमृता पीपल तैयार हो रहे है और इस वर्ष भी गमलों में आम लीची प्लम आड़ू करीपत्ता सभी बो दिए गए है -दूसरे वर्ष के लिए -ईश्वर इन पौधों को उम्र दे।
आषाढ़ी नवरात्रि और हरेला पर्व सभी के लिये सुख-समृद्धि और शांति का पैगाम लेके आए।.आभा।।
जीवेम शरदः शतम् ।।२।।
बुध्येम शरदः शतम् ।।३।।
रोहेम शरदः शतम् ।।४।।
पूषेम शरदः शतम् ।।५।।
भवेम शरदः शतम् ।।६।।
भूयेम शरदः शतम् ।।७।।
भूयसीः शरदः शतात्।।८।।
हम सौ शरदों को देखें अर्थात सौ वर्षों तक हमारी नेत्र इन्द्रिय स्वस्थ रहे I१
हम सौ शरद ऋतु तक जीयें यानि हम सौ वर्ष तक जीयें I२
सौ वर्ष तक हमारी बुद्धि सक्षम बनी रहे अर्थात मानसिक तौर पर सौ वर्षों तक स्वस्थ रहे I३
वर्षों तक हमारी वृद्धि होती रहे अर्थात हम सौ वर्षों तक उन्नति को प्राप्त करते रहे I४
सौ वर्षों तक हम पुष्टि प्राप्त करते रहें, हमें अच्छा भोजन मिलता रहे I५
हम सौ वर्षों तक बने रहे I यह दूसरे सूक्त की पुनरावृति है I६
सौ वर्षों तक हम पवित्र बने रहें I७
सौ वर्षों के बाद भी ऐसे ही बने रहें ८
------------आंचलिक भाषा में अथर्ववेद का ये मंत्र -कुछ यूँ बन गया ----
''जी रये, जागि रये धरती जस आगव, आकाश जस चाकव है जये सूर्ज जस तराण, स्यावे जसि बुद्धि हो दूब जस फलिये, सिल पिसि भात खाये, जांठि टेकि झाड़ जाये।''------
-हरेला की आत्मा अथर्ववेद में बसी है ,पूर्वजों की परम्पराएँ ,संस्कार लोकमन के साथ-साथ यहां तक चले आये।
ये संस्कार, पर्व आज ज्यादा प्रासंगिक हैं जब जनसंख्या विस्फोट के कारण सुविधाओं के विस्तार के लिए वृक्षों का अंधाधुंध कटान अपरिहार्य हो गया है -
कुछ समय तक घरों में गमलों पे पेड़ लगाये जाएँ स्वस्थ होने के बाद उन्हें जमीन दी जाये -पर ऐसी जमीन जहाँ दो तीन वर्ष तक देखभाल हो सके -यही संकल्प हो हमारा -
मेरे जामुन इमली अनार अमृता पीपल तैयार हो रहे है और इस वर्ष भी गमलों में आम लीची प्लम आड़ू करीपत्ता सभी बो दिए गए है -दूसरे वर्ष के लिए -ईश्वर इन पौधों को उम्र दे।
आषाढ़ी नवरात्रि और हरेला पर्व सभी के लिये सुख-समृद्धि और शांति का पैगाम लेके आए।.आभा।।
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