जीने की जद्दोजहद में, हर रोज- जिंदगी
मौत से करती रही ,सदा ही दोस्ती।
खेल आंखमिचौनी का, चलता रहा सदा
गमे इश्क को मेरे ,न मिल सकी ये जिंदगी।
इश्क के बुतों संग , कुछ वक्त तो गुजार
रूह अपनी से इजहारे मुहब्बत है- जिंदगी।
मरने से हो शुरू- वो शै है, 'इश्क' - जिंदगी
मरते हैं किसी पे- तो ही ,जीते हैं जिंदगी
मिट के ही छू पाउंगी मैं, तुझे ए इश्क
ए री न मेरी बन ,आली तू -जिंदगी !
डरा के मौत से मुझे ,खुद ही तू डर गयी
क्या जानती है, तू भी "तू "मुझसे है जिंदगी ?
गर्म रेत सी राहें मेरी , ये तो ; मालूम है तुझे
तो ! हमसफर मुझे ही क्यूँ चाहती है- जिंदगी?
इश्क ख़्वाब है मेरा ,आदत मेरी है वो
इश्क "रूह " है मेरी , "तू " इबादत है जिंदगी।
दाद ओ तहसीन की ख्वाहिशें हुई तमाम
बुझता हुआ चिराग मैं तेरा हूँ जिंदगी।। आभा।।
मौत से करती रही ,सदा ही दोस्ती।
खेल आंखमिचौनी का, चलता रहा सदा
गमे इश्क को मेरे ,न मिल सकी ये जिंदगी।
इश्क के बुतों संग , कुछ वक्त तो गुजार
रूह अपनी से इजहारे मुहब्बत है- जिंदगी।
मरने से हो शुरू- वो शै है, 'इश्क' - जिंदगी
मरते हैं किसी पे- तो ही ,जीते हैं जिंदगी
मिट के ही छू पाउंगी मैं, तुझे ए इश्क
ए री न मेरी बन ,आली तू -जिंदगी !
डरा के मौत से मुझे ,खुद ही तू डर गयी
क्या जानती है, तू भी "तू "मुझसे है जिंदगी ?
गर्म रेत सी राहें मेरी , ये तो ; मालूम है तुझे
तो ! हमसफर मुझे ही क्यूँ चाहती है- जिंदगी?
इश्क ख़्वाब है मेरा ,आदत मेरी है वो
इश्क "रूह " है मेरी , "तू " इबादत है जिंदगी।
दाद ओ तहसीन की ख्वाहिशें हुई तमाम
बुझता हुआ चिराग मैं तेरा हूँ जिंदगी।। आभा।।
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