abhajai
Friday, 24 May 2013
निशब्द व्योम औ जगमगाते ये
सितारे ,
किसने इन्हें शब्दों में ढाला ,कागजों में क्यूँ उतारे ,
लिख कर कहानी जिन्दगीकी इक नजर भर फिर से देखी ,,
हाशिए भी भर गए ,शब्दों की कमी फिर भी खली ....................आभा
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