Tuesday, 11 June 2013

उड़ा बगूला प्रेम का तिनका आकाश ,
*****************************
अस्तित्व का तिरोहित होना ,
अकारण आनन्दित मन ,
प्रेम ,करुणा ,आनन्द !
जिसे कोई भंग नहीं कर सकता ,
स्व भंग हो तो अंतस जाग जाता है ,
आत्मा का परमात्मा से मिलन ,
कृष्ण   ही बन  जाना आत्मा का ,
कृष्ण वो जो प्रेम के देवता हैं ,
कृष्ण जो करुणा के सागर हैं ,
वो शस्त्रों  वाले कृष्ण नहीं ,
कृष्ण मेरे मन में रहने वाले ,
जो कारागृह में पैदा होते है ,
जो जन्म से ही उपदेश देते हैं ,
कारागृह से बाहर आओ ,
समाज ,शास्त्र ,जाती धर्म ,
शुभ अशुभ ,मान मर्यादा ,
मोह के बंधन में मत बांधो अपने को ,
तोड़ो बंधन तोड़ो ,मुक्त होओ कारा से ,
करुणा प्रेम का सागर बन लहराओ ,
और हमने ..................................
कारागृह में ही झूला डाल -दिया ,
वहीँ पे शुरू कर दी कृष्ण की पूजा ,
समझ ही न पाए कान्हा का सन्देश ,
कृष्ण कह रहे हैं मन के कारा को तोड़ो ,
मोह के बंधन तोड़ो ,मन के बाहर निकलो ,
अपने शरीर के बाहर  निकलो ,
मन को देखना सीखो .
जागरूक रहो ,
सहज और सरल बनो ,
मुक्त होओ ,सहज होओ ,
साक्षी होओ हर घटना के ,
तभी खिलोगे फूल से ,
फैलेगी सुवास ,
सुरभित होगी धरा ,
खिलखिलाएगी मानवता ,
पैदा होगी करुणा ,
फैलेगा प्रेम ,
,सत्य ही तो है ,
कान्हा उतर आये मन में ,
  स्व तिरोहित हो जाता है ,
एक सुवासित आनंद
करुणा से उपजा प्रेम 
आनंद  जो कोई भंग नहीं कर सकता ......................आभा ..............

No comments:

Post a Comment