Tuesday, 17 December 2013

कबीरा जब हम पैदा हुए ,जग हंसे हम रोये |
ऐसी  करनी कर  चलें , हम  हँसे , जग रोये ||
        काश कबीर की इस सीख को हम समझ पाते |लम्बी राहें ,ढेर सी मंजिलें ,मान-सम्मान ,धन .पद ,प्रतिष्ठा ,पता नहीं क्या चाहिए ? क्यूँ चाहिए ? सडकों पे भागती दौड़ती जिन्दगी | वाहनों का जाल 

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