आवेगी एक बला तेरे सर कि सुन ऐ सबा ,
जुल्फे -सियह का उसके अगर तार जाएगा --
--- अब समय बदल गया है। अब तो बाजार हावी है घर आंगन की फिजाओं में। जुल्फ वालों की क्या औकात क़ि कोई उनकी वजह से परेशान हो ,अब तो रात दिन के मैसेज ,SMS ,ई मेल्स ,ने ले ली है ज़िम्मेदारी सभी को बौरा देने की ,क्या पता आम भी अब इन्ही से परमीशन लेके बौराता हो grin emoticon ।
जन्मदिन को आप याद रखना चाहें या नही ,मनाने का इरादा हो या नही पर बाजार आपको एक पखवाड़े पहले से ही याद दिलाना शुरू कर देता है। Happy birthday in advance --और दे दमादम फ़ोन ,मैसेज ,SMS ,ई मेल --सब जगह ऑफर --वो भी स्पेशल ,जन्मदिन की छूट के साथ -- गहनों से लेकर इलेक्ट्रोनिक तक ,एक बैडरूम से लेकर तीन बैडरूम फ्लैट तक ,जिस भी दुकान ,मॉल में कभी घुसी होउंगी या जिस भी होटल में खाना खाया होगा ,सभी मेहरबान हैं ,कद्रदान बन के बुला रहे है --भाई आ जाओ --क्या पता फिर ये समा कल हो न हो
मानो कह रहे हों --
''गर्चे कब देखते हो पर देखो
आरज़ू है कि तुम इधर देखो '' ---
अरे ना मुरादों --खरीददारी किसे बुरी लगती है ,पर पल्ले नावा भी तो हो ,केवल गिफ़ट -के लिये बुलाओ तो शायद हमारे दीदार भी हो जाएँ। वरना तो अब हम खुद में ही खोये रहते है ,बाजार लुभाता नही है हमे --
''स्वर्ग को भी आँख उठा देखते नही
किस दर्ज़े सिरे चश्मे हैं हमारी उमर के लोग --[दर्जे-सीरे -चश्म = संतुष्ट ]
--- अव्वल तो मैं सनद हूँ फिर ये मेरी जुबां भी है --परेशान होना मेरी फितरत में है नही ,लालच नही रहा जवानी में भी कभी ,अब रंग उड़ गया तो तुम कसीदा पढोगे -जी बाजार की भी अपनी एक चाल होती है --कितनी काल ब्लॉक करें --दिन भर फिर भी आती ही है --जन्मदिन का आना न हुआ ये तो पैदा होने के वक्त से भी बड़ी मुसीबत हो गयी --वैसे भी बाजार महाशय हम तो अब बुढ़ायेंगे ही --पर तुम्हें क्या ,बेचो-बेचो और इतने सारे कॉल्स के बाद उस दिन एक फूल भी नही भेजोगे ---
-- इस बाजारवाद से त्रस्त होने पे मन के उदगार रेख्ते बन गये --दिन में दसियों बार दसियों तरीके से याद दिलाता है ये बाजार ---चल उठ कि कुछ खरीददारी करने चलें तू कुछ दिनों में ही पैदा होने वाली है। उफ़ ये तो धरती में पदार्पण से भी बड़ी चक्कल्ल्स हो गयी ---क्या करें --
''हस्ती अपनी हुबाब की सी है ,
यह नुमाइश सुराब की सी है ''-----हुबाब =बुलबुला ,,,सुराब -मृगतृष्णा।
----और ये बाजार है कि ---
मुस्कुरा करके मेरी हालत पे दिल जलाने की बात करता है -
इश्क के इन्तहां पे आकर ,बीते दिनों में लौट जानेकि बात करता है। --------बाजार से परेशान आत्मा की व्यथा - wink emoticon
जुल्फे -सियह का उसके अगर तार जाएगा --
--- अब समय बदल गया है। अब तो बाजार हावी है घर आंगन की फिजाओं में। जुल्फ वालों की क्या औकात क़ि कोई उनकी वजह से परेशान हो ,अब तो रात दिन के मैसेज ,SMS ,ई मेल्स ,ने ले ली है ज़िम्मेदारी सभी को बौरा देने की ,क्या पता आम भी अब इन्ही से परमीशन लेके बौराता हो grin emoticon ।
जन्मदिन को आप याद रखना चाहें या नही ,मनाने का इरादा हो या नही पर बाजार आपको एक पखवाड़े पहले से ही याद दिलाना शुरू कर देता है। Happy birthday in advance --और दे दमादम फ़ोन ,मैसेज ,SMS ,ई मेल --सब जगह ऑफर --वो भी स्पेशल ,जन्मदिन की छूट के साथ -- गहनों से लेकर इलेक्ट्रोनिक तक ,एक बैडरूम से लेकर तीन बैडरूम फ्लैट तक ,जिस भी दुकान ,मॉल में कभी घुसी होउंगी या जिस भी होटल में खाना खाया होगा ,सभी मेहरबान हैं ,कद्रदान बन के बुला रहे है --भाई आ जाओ --क्या पता फिर ये समा कल हो न हो
मानो कह रहे हों --
''गर्चे कब देखते हो पर देखो
आरज़ू है कि तुम इधर देखो '' ---
अरे ना मुरादों --खरीददारी किसे बुरी लगती है ,पर पल्ले नावा भी तो हो ,केवल गिफ़ट -के लिये बुलाओ तो शायद हमारे दीदार भी हो जाएँ। वरना तो अब हम खुद में ही खोये रहते है ,बाजार लुभाता नही है हमे --
''स्वर्ग को भी आँख उठा देखते नही
किस दर्ज़े सिरे चश्मे हैं हमारी उमर के लोग --[दर्जे-सीरे -चश्म = संतुष्ट ]
--- अव्वल तो मैं सनद हूँ फिर ये मेरी जुबां भी है --परेशान होना मेरी फितरत में है नही ,लालच नही रहा जवानी में भी कभी ,अब रंग उड़ गया तो तुम कसीदा पढोगे -जी बाजार की भी अपनी एक चाल होती है --कितनी काल ब्लॉक करें --दिन भर फिर भी आती ही है --जन्मदिन का आना न हुआ ये तो पैदा होने के वक्त से भी बड़ी मुसीबत हो गयी --वैसे भी बाजार महाशय हम तो अब बुढ़ायेंगे ही --पर तुम्हें क्या ,बेचो-बेचो और इतने सारे कॉल्स के बाद उस दिन एक फूल भी नही भेजोगे ---
-- इस बाजारवाद से त्रस्त होने पे मन के उदगार रेख्ते बन गये --दिन में दसियों बार दसियों तरीके से याद दिलाता है ये बाजार ---चल उठ कि कुछ खरीददारी करने चलें तू कुछ दिनों में ही पैदा होने वाली है। उफ़ ये तो धरती में पदार्पण से भी बड़ी चक्कल्ल्स हो गयी ---क्या करें --
''हस्ती अपनी हुबाब की सी है ,
यह नुमाइश सुराब की सी है ''-----हुबाब =बुलबुला ,,,सुराब -मृगतृष्णा।
----और ये बाजार है कि ---
मुस्कुरा करके मेरी हालत पे दिल जलाने की बात करता है -
इश्क के इन्तहां पे आकर ,बीते दिनों में लौट जानेकि बात करता है। --------बाजार से परेशान आत्मा की व्यथा - wink emoticon