सावन में शंकर भोले बाबा से मेरी विनती -----------
प्रभु हाथ मेरा पकड़ो ,-------छूटे ये फिर कभी ना .
दर पे तेरे हूँ आई ,-----वरदान दो दरश का .
जन्मों की मैं हूँ प्यासी तव चरणों की लगन है ,
बस दिल ही इक मैं लायी ,खाली है झोली मेरी .
शिकवा है ना शिकायत ना मुझको कोई गिला है ,
हुआ धन्य मेरा जीवन, तेरा प्यार जो मिला है .
जो भी मुझे मिला है तेरे दर से ही मिला है .
बनकर के दीप पथ का ,जग को मैं दूँ उजाला ,
औरों के अश्क पोंछूं छ्लकू ज्यों रस का प्याला .
तेरी कृपा हो शंकर ,विष-पान भी करूँ मैं
जीवन दिया है तुने तुझ पे ही वार दूँ मैं .
--------------------आभा ---------------------शिवोहम -शिवोहम -2-3-4-5
प्रभु हाथ मेरा पकड़ो ,-------छूटे ये फिर कभी ना .
दर पे तेरे हूँ आई ,-----वरदान दो दरश का .
जन्मों की मैं हूँ प्यासी तव चरणों की लगन है ,
बस दिल ही इक मैं लायी ,खाली है झोली मेरी .
शिकवा है ना शिकायत ना मुझको कोई गिला है ,
हुआ धन्य मेरा जीवन, तेरा प्यार जो मिला है .
जो भी मुझे मिला है तेरे दर से ही मिला है .
बनकर के दीप पथ का ,जग को मैं दूँ उजाला ,
औरों के अश्क पोंछूं छ्लकू ज्यों रस का प्याला .
तेरी कृपा हो शंकर ,विष-पान भी करूँ मैं
जीवन दिया है तुने तुझ पे ही वार दूँ मैं .
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