Tuesday, 17 July 2012

Shradhanjali....

आराधन को प्रिय तेरे !-------
हृदय शूल के अक्षत लायी हूँ .
भावों के चंदन से महका कर !-----
मैं तुझे सजाने आयी हूँ .--------

साँसों की डोरी के अगरु जला ,---
सुरभित साँसों से महका कर ,----
दीप जला कर स्नेह सुधा का ,----
अश्रु जल का तेल डाला .----------
अभिषेक तेरा अश्रु जल-कण से ही करने आयी हूँ .
प्रिय तेरे आराधन को मैं हृदय शूल के अक्षत लायी हूँ .
रंग बिरंगे ,हंसते रोते ,
कुछ काँटों और कुछ पराग से ,
चुन-चुन कर स्वप्न सुमन ,
मैं ,भावों की क्यारी से लायी हूँ ,
दो नयन  पुजारी तेरे हैं ,
,देह पुजारन है तेरी ,-----------
उस पैर करुना का शंख बजा ,
आरत हरण को आई हूँ .-----------------------------------
जिन क्षणों में चले गये तुम ,
वे क्षण ही जीवन धन हैं मेरे ,
सुमधुर यादों की माला ही ,
अर्चन वंदन को लायी हूँ .
प्रिय तेरे आराधन को में हृदय शूल के  अक्षत लायी हूँ .
भावों के चन्दन से महकाकर मै तुझे सजाने आयी हूँ .----------------

सब के लिए अमावस की रात काली होती है ,मेरे लिये अमावस की सुबह काली है जो अजय को मुझ से छीन ले गयी 
मेरी और बच्चों की श्रधान्जली अजय को.--------------------------आभा ------------


जिन 

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