Tuesday, 3 July 2012

sahaj hamaen hona hi hoga

  1.                                                                                       सब मिथ्या है ,निरुदेश्य है प्रकृति यदि ,
  2.                                                                                        हम क्यूँ चलें उदेश्य लेकर ?------------
  3. सुना है जीवन का इक ध्येय होना चाहिये ?
  4. ध्येय यदि छोड़ सको यही बड़ा उदेश्य यहाँ .
  5. प्रकृति जैसे बन जायें --तो ही जीवन सच्चा जीवन .
  6. मनुज अप्राकृतिक हो गया है ,प्रकृति से टूटा नाता है .
  7. निज स्वारथ में अँधा होकर ,सब कुछ पकड़े बैठा है ,
  8. सब छोडने काही  ध्येय हमें बनाना होगा  ------------
  9. -------------सोचो ------------------------------------
  10. फूल खिला अपनी रौ में ,नहीं किसी के लिये खिला
  11. राही ले सुगंध उसकी फूल की ऐसी चाह नही .
  12. सुन्दरता का मिले मैडल ,पूजा की माला में गुंथा जाये ,
  13. सजे सेज पर कहीं किसी की ,या बालों की शोभा हो जाये ,
  14. नही ध्येय खिलने का यह की बाजारों में बेचा जाये ,
  15. फूल खिला ,निरुदेश्य खिला ,चाह नही अभिलाष नहीं ,
  16. गर फूल खिले किसी प्रिय के कारण --प्रिय न आये -?
  17. फूल बंद ही रहना चाहे ,फिर वह प्रिय आये तो??
  18. बंद रहने की आदत मजबूत हुई तो !---------------
  19. फूल नही फिर खिल पायेगा !---फूल सहज है ,
  20. ध्येय हीन है ,चाह नही अभिलाष नही है ,
  21. तब ही पूरा खिल सकता है ,
  22. पैरों में चुभ गया जो कांटा ,कांटे से ही निकलेगा ,
  23. पर फिर दोनों काँटों को फेंक कहीं पर देना होगा .
  24. सोचो यदि दूसरे कांटे को रखदें वहाँ जहाँ पहला था
  25. बोलें हम ,धन्य हो तुम ,मुक्ति मुझे पीड़ा से दी तुमने ,
  26. अनर्थ बड़ा तब हो जायेगा ,दोनों को ही तजना होगा ,सहज
  27. सहज गर हम हो जायें तो सहज को भी तजना होगा ,
  28. भाव सहज होने का भी अटकन पैदा कर  सकता है ,
  29. प्रकृति जैसा यदि होना है तो ध्येय विहीन होना ही होगा
  30. गीता का भी ज्ञान यही है ,निरुदेश्य हो कर्म करें हम
  31. ध्येय विहीन ,अर कर्म प्रधान जीवन हो अपना ,
  32. अपने को पहचान गये यदि ,खिलना शुरू हो जायेगा
  33. खुशबू फैलेगी ,
  34.                प्रज्ञां बाहर आयेगी
  35.                 सारी विभूतियाँ अंतरतम की
  36.                  एक -एक कर खिल जायेंगी
  37.                   खुद भी महकोगे तुम फिर दुनिया को भी महकाओगे

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