Monday, 2 July 2012

Shradhanjali....by abha

मेरे नयनो के आंसू ही आज मेरा श्रृंगार बने
मेरे स्वप्नों मेंआ - आकर ,रंगों के बादल से छा कर ,
तुम देते हो विस्तार मुझे .----------------------------
मेरे स्वप्नों में आ -आकर ,स्वप्नों के इन्द्र-धनुष बनकर ,
तुम देते हो आकार मुझे .-----------------------------------
हर स्वप्न तुम्हारी सीखों का, इक छंद दिखाई देता है ,
हर साँस तुम्हारी यादों का विस्तार दिखाई देती है ,
इन पलकों को मूंद -मूंद ,ढुलका कर आंसू बूंद -बूंद ,
देता है समय सवांर मुझे .-----------------------------------
मेरे नयनो के आंसू ही आज मेरा श्रृंगार बने .

                  ------------आभा ------------------------------

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