
.................................चैत्रे मासि सिते पक्षे हरिदिन्याँ मघाभिधे।
.................................नक्षत्रे स समुत्पन्नो हनुमान रिपुसूदन: ।।
...कल्प भेद से पुन:-------
..................................महाचैत्रीपूर्णिमायां समुत्पन्नोअंजनीसुत:।
..................................वदन्ति कल्पभेदेन बुधा इत्यादि केचन।।
तदानुसार चैत्र पूर्णिमा हनुमानजी का जन्मदिवस है और यही तिथि प्रचलित है ,,,,कुछ पंचांगों में नरक चतुर्दशी -(कार्तिक कृष्णपक्ष) दीपावली से पहले भी हनुमान जयंती मनाई जाती है ।
जो भी हो श्री हनुमानजी का जन्म राम काज के लिए ही हुआ था ----कवितावली से --
....................जेहिं सरीर रति राम सों सोई आदरहिं सुजान।
........................रुद्रदेह तजि नेहबस बानर भे हनुमान।।
.........................जानि राम सेवा सरस ,समुझि करब अनुमान।
.........................पुरुषा ते सेवक भये हर ते भे हनुमान।।
सो गोस्वामीजी स्पष्ट करते हैं कि हनुमानजी रुद्रावतार हैं।--------------जामवंत की उक्ति भी बहुत सार गर्भित है -----------
.........................राम काज लगि तव अवतारा। सुनतहिं भयहु पर्वताकारा।।
..राम कार्य में हनुमानजी आदि से अंत तक रामजी के साथ रहे ..गोस्वामीजी की पुष्पवाटिका में एक दूती है सखी सिया की ....और वही राम को सिया से मिलवाती है ....
....................एक सखी सिय संग बिहाई।गयी रही देखन फुलवाई।।
....................तेहिं दोउ बन्धु बिलोके जाई।प्रेम बिबस सीता पहिं आयी।।
....................श्री जानकी जी की प्रधान सखियों में से है यह सखी ....अगस्त्य संहिता में श्री सीता जी की आठअन्तरंग सखियाँ हैं -------------१ .श्री चारुशीला २ .श्री हेमा ३ .श्री क्षेमा ४ .श्रीवरारोहा ५ .श्री पद्मगन्धा ६ .श्री सुलोचना ७ .श्री लक्ष्मणा तथा ८ .श्री सुभगा ---अवध-विलास पुस्तक में नामों में कुछ अंतर भी है .मानस पीयूष में लिखा है की श्री हनुमानजी ही चारु-शिला के रूप में है जो श्री जानकी को राम से मिलवाते हैं ----------------------तो ये सिद्ध होता है कि हनुमत जन्म, राम काज लगी तव अवतारा ही है हनुमानजी आदि से अंत तक रामजी के साथ ही हैं।।
ऐसे राम के दुलारे श्री हनुमानजी के चरणों में मेरा बारम्बार प्रणाम .....................................
...............अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं
.....................................दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामाग्रगन्यम।
................सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं
.....................................रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि।।
हनुमत जयंती शुभ होवे देश में फैले भ्रष्टाचार ,और म्लेछ्ता को दूर करने के लिए हर एक इंसान अपने भीतर के हनुमान को रामकाज लगि तव अवतारा कह कर जगाये और देश का सच्चा सेवक बने यही शुभेच्छा है।। ........(.प्रेरणा श्रोत मानस और कल्याण )..........आभा .............