Wednesday, 17 April 2013


जय त्वं देवि चामुंडे ,जय भूतार्तिहारिणी .
जय सर्वगते देवि ,कालरात्रि नमोस्तुते ..
अणु बीज में अंतर्निहित अणिमा शक्ति जो एक सूक्ष्म बीज को 'महतो महीयान वृक्ष ' बनाती है ,समस्त जागृत जगत में व्याप्त अम्बे की ही अणिमा शक्ति है ,जो सत ,असत दोनों का कारण है ----पर सत में वो अपनी नामरूपात्मक अभिव्यक्ति के साथ प्रत्यक्ष होती है ,,और असत में नहीं होती है ,,असत बिना शक्ति ,बिना शिव के अकेला ही होता है ,...यह संसार शिव-शक्ति के अंतर्मन में निहित प्रसुप्त अणिमा के स्पंदन ,सिसृक्षा का ही परिणाम है ,ये शक्ति जब तक सक्रिय नहीं होती ,शिव भी निर्विकार है ,,विश्व के रूप में परिणमन उसमे संभव नहीं ..शक्ति की चिति स्वतंत्र है ,शिव पराधीन है चिति में स्वतंत्र रूप से परिणमन संभव है ,शिव में नहीं ..शिव यदि शक्ति से युक्त है ,तभी वह सृष्टि ,स्थिति ,संहार .तिरोधान और अनुग्रह रूपी प्रपंचन कार्य में सफल होता है ,अन्यथा वह केवल शव है ,,,,परम शिव की चित शक्ति ही विश्वाकार में परिणित हुई ,समस्त सृष्टि इस भगवती अंबे की अणिमा शक्ति का ही प्रत्यक्ष रूप है ,,,,,,,,,इस संसार में कौन सा वांग्मय ऐसा है ,जो भगवती की स्तुति नहीं है ............................
................................तव च का किल न स्तुतिरम्बिके !
............................................सकलशब्दमयी किल ते तनु:.
.............................निखिलमूर्तिषु मे भवद्न्वयो ,
..............................................मनसिजात बहि:प्रसरासु च .
.................................इति विचिन्त्य शिवे !शमिताशिवे !
.............................................जगति जातमयत्नवशादिदम .
...................................स्तुतिजप़ार्चनचिन्तनवर्जिता
...............................................न खलु काचन कालकलास्ति मे ..
...................हे भगवति ये सारा संसार ,मेरा सारा जीवन तुम्हारा ही रूप है ,,सो मेरा समस्त जीवन, जीवन का क्षुद्रतम अंश भी तेरा ही जप पूजा ,और स्तुति होवे ,मेरे सारे कार्य -कलाप तेरी ही पूजा होवें ...................................................................आभा ........

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