Tuesday, 2 April 2013

    शीतलाअष्टमी  ,बाह्य और आंतरिक शुद्धता का त्यौहार ,शीतला माता----हाथ में सूप ,नीम पत्र ,कलश ,झाड़ू  ,वाहन गधा , आने वाली उष्ण ऋतू के लिए स्वच्छता, जल संग्रहण .शुद्ध वायु ,शुद्ध अन्न ,और संतोष का सन्देश देती  हैं .साथ ही बसोडा का भोग  .फिर आज से बासी खाना बंद ,....कितनी सहज और वैज्ञानिकता के साथ हर संक्रमण काल में आहार विहार और निजी एवं वातावरण की स्वच्छता को अपनाना सिखाते हैं हमारे व्रत त्यौहार ,आज आवश्यकता है अपनी संस्कृति के इन नियमों के पुन: प्रतिष्ठापन की ,,,,बिन भय होत  न प्रीत गुसाईं ,,,,इसीलिए शीतला माता  के अप्रसन्न होने पे चेचक जैसी महामारी ,,[यह ,जो संक्रांति काल में ....जब सर्द गर्मी होती है और बेक्टीरिया एवं वाइरस के पनपने के लिए अनुकूल वातावरण होता है] ...के फैलने का भय दिखा कर ,व्रत ,सफाई ,और शुद्धता को जीवन में शामिल करवाया गया ..यह पर्व बाह्य और अंतस की शुद्धता का पर्व है ..,आंतरिक शुद्धता से लेके पर्यावरण की शुद्धता का पर्व ,शायद सदियों तक जो धरती शश्य -श्यामल और स्वच्छ रह गयी तो उसमे इन सब पर्वों और मान्यताओं का ही हाथ है ,यदि हम इन्हें फिर से अपना लें तो जगह -2 गंदगी के ढेर ,प्रदूषित नदियाँ और कटते पेड़ों की समस्या से निजात पाने की ओर  कदम बढ़ाना शुरू करेंगे ,पुन:पीछे लौटना पडेगा अविष्कारों के साथ -2 संस्कारों को भी अपनाना होगा तभी हम अपनी संततियों को एक स्वच्छ सुरक्षित और शुद्ध रहने लायक धरती दे पायेंगे सारे गेजेट्स के साथ -2 ..  स्वच्छता और शुद्धता का एक अनूठा पर्व,, इसे मनाएं,, अपने जीवन में उतारें ,,और पर्यावरण संरक्षण में सहयोग करें ,माँ शीतला --हमें बुद्धि दे और निरोगी करें .....आभा ...

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