Sunday, 3 November 2013

गोवर्धन पूजा --------------------गोधन ,और पर्वत की महत्ता और स्थापित करने का पर्व .............
ब्रज में आंधी- तूफान- बिजली- मुसलाधार बारिश ,त्राहि ,त्राहि ,नदियों में बाढ़ ,शहर के डूबने का ख़तरा --''स्थूणास्थूला वर्षधाराम्न्चत्स्व भ्रेश्व भीक्ष्णश:|जलौघे: प्लाव्यमाना भूर्नादृश्यत नतोन्न्तम ||'' एक तरह से कई बादल एक साथ फटने की त्रासदी ,तूफ़ान और जल प्रलय , आज की केदारनाथ की जल प्रलय और फेलिन जैसे हालत एक साथ ...
इस परीस्थिति में आज भी जब सरकारें नाकारा साबित हो रही हैं ,कृष्ण ने इंसान तो क्या एक जानवर की भी क्षति न होने दी . क्या मनेजमेंट रहा होगा |-------------- पर्वत- नदी -तालाब- गोधन के संरक्षण का पर्व गोवर्धन ----कान्हा की इसी लीला को समर्पित है |गोवर्धन पूजा प्रकृति के संरक्षण के व्रत लेने का पर्व है | सामाजिक समरसता ,परस्पर विश्वास ,धैर्य और संसाधनों के उचित प्रबन्धन से ''सर्वे भवन्तु सुखिन:.सर्वे सन्तु निरामया ''की व्यवस्था स्थापित करने का पर्व है . कर्म की प्रधानता का पर्व है .सदियों से चली आ रही रूढीवादी वादी परम्पराओं को तोड़ने का पर्व है .अंधविश्वास और डर के साए में जी रही प्रजा से कृष्ण कहते हैं --''-जब हम सब प्राणी अपने -अपने कर्मों का फल भोग रहे हैं तो हमें इंद्र की क्या आवश्यकता ---जब देवता पूर्वसंस्कारों के कारण प्राप्त होने वाले कर्मों के फलों को बदल ही नहीं सकते तो उनके यजन का क्या फायदा , उचित तो यही होगा की हम इस जन्म के कर्मों को सुधारें और दूसरे जन्म को सरल और सुगम बनाएं ''----"किमिइन्द्रेणही भूतानं स्वस्वकर्मानुवर्तिताम.अनीशेनान्यथा कर्तुं स्वभावविहितं न्रिणाम "| |
दीपावलीहिन्दू धर्म का सबसे बड़ा और महत्व पूर्ण पर्व है..रामजी के वनवास की अवधि के समापन, घर वापसी और राज्याभिषेक के हर्षोल्लास के साथ ही, कान्हा की प्रबन्धन क्षमता और समाजसुधारकहोने कीप्रामाणिकता का भी पर्व है ----ये करवाचौथ में पति-पत्नी के परस्पर प्यार और समर्पण से प्रारम्भ हो कर संतान की शुभकामना होई अष्टमी ,धन तेरस में मिट्टी के दीये मिट्टी की हटड़ीऔर खिलौने से कुम्हार की शुभेच्छा ,खील बताशे से किसान की नई फसल के लिए शुभकामना ,उपहार वितरण की परम्परा से वनिक वर्ग के लिए शुभकामनाएं ,गोवर्धन में समाज और प्रकृति को सहेजने की कोशिश ,और अंत में भाई बहनके प्यार का पर्व भाई दूज , समाज के सभी वर्गो के लिए शुभेच्छा और उत्साह .. दीपावली हमारे संस्कारों में ही समाहित है .ये रामजी के वन से घर आने और राज्याभिषेक का पर्व तो है ही ,समाज को एक सूत्र में जोड़ने का भी पर्व है अन्य किसी भी धर्म या संस्कृति में , सब को अपने में समाहित करने वाला-जो अपने स्वरूप में ही अनंत का विस्तार लिए हुए ,ऐसा पर्व शायद नही है ,इसीलिए दीपावली हर धर्म और संस्कृति के लोगों को आकर्षित करती है ---- गोवर्धन पूजा का पर्व समाज से भ्रष्टाचार और शासन की दम्भी प्रकृति को समाप्त करे ये ही शुभेच्छा है -----सभी के ऊपर कान्हा की कृपा हो ,रामजी का प्यार बरसे - आभा.

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