गजल का हुस्न हो तुम ,नज्म का शबाब हो तुम |
गजल का हुस्न हो तुम नज्म का ख्वाब हो तुम !
सदायें साज हो तुम नगमाये ख़्वाब हो तुम !
हुस्न को गजल नाजुकी बख्शने के लिए वसंत का अंदाज जरुरी है ; ---
मौसिम है निकले साखों से पत्ते हरे हरे ,
पौधे चमन में फूलों से देखे भरे भरे |
यही तो मौसम है प्यार का , मनुहार का ,उपहार का , Happy Valentine ! कहने का इसका विरोध क्यूँ ? विगत से ही वसंतोत्सव तो हमारी संस्कृति का एक अभिन्न अंग रहा है वसंत पंचमी से होली तक उत्सव ही उत्सव .प्रकृति के रंग में रंग जाने का मौसम .और प्रकृति तो प्यार का ही स्वरूप है | अब बच्चे वैश्विक सभ्यताओं में जीवन यापन कर रहे हैं ; कुछ नया अपना रहे हैं , इसमें बुराई क्या है ?ये, है तो ; प्यार का ही त्यौहार ! एक यूरोपीय संत , शादी , परिवार ,समर्पण और उस पे भी अंत तक प्यार बना रहने की रीति से इतना प्रभावित हुआ कि उसने अपने समाज को भी ये उपहार देना चाहा |वो अपने यहाँ भी शादियाँ करवाने लगा और एक पत्नी व्रत का वादा लेने लगा बच्चों से .ये हमारे लिए हर्ष का विषय है | हमारी परम्परा का ही विस्तार हो रहा था .|हाँ ! प्यार को चंद पलों या चंद दिनों में समेटने की प्रवृति और प्यार के सरेआम दिखावे की प्रथा की फूहड़ता को सहन नहीं किया जा सकता ,वरना तो प्यार मीरा है ,प्यार राधा है ,प्यार गोपी-ग्वाले हैं ,प्यार शकुन्तला की मासूमियत है ,प्यार यक्ष का संताप है ,प्यार श्रद्धा और इड़ा का अनुराग है प्यार उर्मिला का त्याग है और सीता का दृढ विश्वास है ,प्यार प्राची में फैला मधुर राग है , फूलों का पराग है भंवरे का गुंजन है ,तितली की शोखी है ,कल -कल करती नदी का मधुनाद है ,बिखरी अलकों का तर्क जाल है और अभिलाषाओं का शैल श्रृंग है |प्यार प्रकृति की हंसी है --------
उच्च शैल शिखरों पर हंसती प्रकृति चंचला बाला |
धवल हंसी बिखराती ,अपना फैला मधुर उजाला ||
क्या ये दृश्य प्यार में डूबने को मजबूर करने को काफी नहीं है | इसका तो उत्सव होना ही चाहिए ! जो नकारे उसके लिए तो यही कहा जा सकता है ---
तुमने देखी नहीं है साहब आँख कोई शरमाई हुई ;
अगरचे देखते तो कहते ---------
अब तो नकाब मुहं पे ले जालिम कि शब हुई |
शर्मिंदा सारे दिन तो किया आफ़ताब को ||
वादा लीजिये ,वादा दीजिये ,फूलों से ,चाकलेट से टैडी से या रसगुल्ले से ,अकेले या माँ-बाप के साथ मिलके ! बात पक्की कीजिये , इश्क दस्तक दे रहा है दिल पे! आँखों से इजहारे मुहब्बत करिये और पूरी जिन्दगी इश्क की बारिशों में भीगिए | शुक्र है कहीं तो इश्क पनप रहा है इस बेगैरत दुनिया में ,गर डर गये तो ; दुनिया तो इसे मिटाने को ही बेताब दिखती है और फिर कहना पड़ेगा ----
तुम्हें दूर से ही देखें ,हरगिज न पास आयें ,
आँखों में जिन्दगी भर तेरा इंतजार डोले |
प्यार की हर मौज सागर को समेटे होती है ,जब बिछड़ भी जाओ तो बिछड़ने का अहसास नहीं होता ,जो पल गुजारे थे अपने वैलन्टाइन के संग उन्हीं पलों के सहारे सागर में भी चहलकदमी कर सकते हैं |---
हर सुबह उठ के तुझसे मांगूं हूँ मैं तुझी को ,
तेरे सिवाय मेरा कुछ मुद्दआ नहीं |
जिनकी शादी तय हुई है ,जिनकी अभी शादी हुई है ,जिनकी शादी की सालगिरह है ,और जो दशकों से प्यार के हिंडोले में झूल रहे हैं सभी को Happy Valentine .खूब प्यार- मनुहार से ये दिन मनाएं अच्छा सा उपहार दें .क्यूँ कि -------
ये वो नगमा है जो बनाया नहीं जाता ,
रेखतों से जिसको सजाया नहीं जाता , ----इश्क बस दुनिया के बाशिंदों को ही हासिल होता है तभी तो भगवान् को भी प्यार करने को धरा पे आना पड़ता है ----
दिल के तारों की छुवन से ,बजता है ये साज ,
इश्क खुदा को भी बन्दा बना देता है |-----------------आभा -----------
मौसिम है निकले साखों से पत्ते हरे हरे ,
पौधे चमन में फूलों से देखे भरे भरे |
यही तो मौसम है प्यार का , मनुहार का ,उपहार का , Happy Valentine ! कहने का इसका विरोध क्यूँ ? विगत से ही वसंतोत्सव तो हमारी संस्कृति का एक अभिन्न अंग रहा है वसंत पंचमी से होली तक उत्सव ही उत्सव .प्रकृति के रंग में रंग जाने का मौसम .और प्रकृति तो प्यार का ही स्वरूप है | अब बच्चे वैश्विक सभ्यताओं में जीवन यापन कर रहे हैं ; कुछ नया अपना रहे हैं , इसमें बुराई क्या है ?ये, है तो ; प्यार का ही त्यौहार ! एक यूरोपीय संत , शादी , परिवार ,समर्पण और उस पे भी अंत तक प्यार बना रहने की रीति से इतना प्रभावित हुआ कि उसने अपने समाज को भी ये उपहार देना चाहा |वो अपने यहाँ भी शादियाँ करवाने लगा और एक पत्नी व्रत का वादा लेने लगा बच्चों से .ये हमारे लिए हर्ष का विषय है | हमारी परम्परा का ही विस्तार हो रहा था .|हाँ ! प्यार को चंद पलों या चंद दिनों में समेटने की प्रवृति और प्यार के सरेआम दिखावे की प्रथा की फूहड़ता को सहन नहीं किया जा सकता ,वरना तो प्यार मीरा है ,प्यार राधा है ,प्यार गोपी-ग्वाले हैं ,प्यार शकुन्तला की मासूमियत है ,प्यार यक्ष का संताप है ,प्यार श्रद्धा और इड़ा का अनुराग है प्यार उर्मिला का त्याग है और सीता का दृढ विश्वास है ,प्यार प्राची में फैला मधुर राग है , फूलों का पराग है भंवरे का गुंजन है ,तितली की शोखी है ,कल -कल करती नदी का मधुनाद है ,बिखरी अलकों का तर्क जाल है और अभिलाषाओं का शैल श्रृंग है |प्यार प्रकृति की हंसी है --------
उच्च शैल शिखरों पर हंसती प्रकृति चंचला बाला |
धवल हंसी बिखराती ,अपना फैला मधुर उजाला ||
क्या ये दृश्य प्यार में डूबने को मजबूर करने को काफी नहीं है | इसका तो उत्सव होना ही चाहिए ! जो नकारे उसके लिए तो यही कहा जा सकता है ---
तुमने देखी नहीं है साहब आँख कोई शरमाई हुई ;
अगरचे देखते तो कहते ---------
अब तो नकाब मुहं पे ले जालिम कि शब हुई |
शर्मिंदा सारे दिन तो किया आफ़ताब को ||
वादा लीजिये ,वादा दीजिये ,फूलों से ,चाकलेट से टैडी से या रसगुल्ले से ,अकेले या माँ-बाप के साथ मिलके ! बात पक्की कीजिये , इश्क दस्तक दे रहा है दिल पे! आँखों से इजहारे मुहब्बत करिये और पूरी जिन्दगी इश्क की बारिशों में भीगिए | शुक्र है कहीं तो इश्क पनप रहा है इस बेगैरत दुनिया में ,गर डर गये तो ; दुनिया तो इसे मिटाने को ही बेताब दिखती है और फिर कहना पड़ेगा ----
तुम्हें दूर से ही देखें ,हरगिज न पास आयें ,
आँखों में जिन्दगी भर तेरा इंतजार डोले |
प्यार की हर मौज सागर को समेटे होती है ,जब बिछड़ भी जाओ तो बिछड़ने का अहसास नहीं होता ,जो पल गुजारे थे अपने वैलन्टाइन के संग उन्हीं पलों के सहारे सागर में भी चहलकदमी कर सकते हैं |---
हर सुबह उठ के तुझसे मांगूं हूँ मैं तुझी को ,
तेरे सिवाय मेरा कुछ मुद्दआ नहीं |
जिनकी शादी तय हुई है ,जिनकी अभी शादी हुई है ,जिनकी शादी की सालगिरह है ,और जो दशकों से प्यार के हिंडोले में झूल रहे हैं सभी को Happy Valentine .खूब प्यार- मनुहार से ये दिन मनाएं अच्छा सा उपहार दें .क्यूँ कि -------
ये वो नगमा है जो बनाया नहीं जाता ,
रेखतों से जिसको सजाया नहीं जाता , ----इश्क बस दुनिया के बाशिंदों को ही हासिल होता है तभी तो भगवान् को भी प्यार करने को धरा पे आना पड़ता है ----
दिल के तारों की छुवन से ,बजता है ये साज ,
इश्क खुदा को भी बन्दा बना देता है |-----------------आभा -----------
No comments:
Post a Comment