बच्चों के लिए लिखी कुछ लाइने --जो मैं हर छोटी उम्र बच्चों को थोड़ा अदल -बदल के देती आ रही हूँ सर्दी के टास्क के लिये ----
सर्दी आयी -सर्दी आई ,निकली कंबल और रजाई
मचा हुआ हल्ला टी वी में ,देर से आयी जोर की आयी
आना ही था मुझको भइया ,हर वर्ष ही आती हूँ मैं
कोहरा संग -संग लाती हूँ मैं ,कहीं घनेरा ,कहीं अँधेरा
चालीस दिनों का पड़ता चीला ,बिजली की छिपम - छिपाई
तापो सिगड़ी ,अलाव जलाओ ,मत मुहं ढ़क बच्चोसो जाओ
नर्म - नाजुक लवंग लता सी, कन्या हूँ मैं ऋतुराज की
कड़क सर्दी सुन अपना नाम , लो रूस गयी फिर हिम गिराई
झूम झपक बरस जाऊं मैं ,श्वेत धवल हिम बन झम-झम
कोमल नरम हैं मेरे फाहें , करदें सबका हर्षित मन
भोलू चीखा बर्फ पड़ी है ,नाचे मुनिया छम-छम छम
रंग बिरंगे स्वेटर पहनो ,दस्ताने मोज़े टोपा ओढो।
करो ठीक पुराने स्वैटर ,सी दो- बटन लगादो उनपर
ढूंढो आसपास सब अपने ,जो हैं वंचित देदो जाकर
आँखों में उनके ख़ुशी मिलेगी ,माँ ने आशीषें बरसाई
तिलबुग्गा तिल के लड्डू , मूंगफली ,गाजर का हलुआ
रेवड़ियों की कुट -कु ट से ,सर्दी की किट किट लजाई
कुट -घुट की गुड की चाय सर्दी का मजा है भाय
घर नहीं हैं जिनके देखो ,उनको जाके कंबल बांटो
तुम सबके प्यारे हो जाओगे ,आशीष अनेकों पा जाओगे।।आभा।।
सर्दी आयी -सर्दी आई ,निकली कंबल और रजाई
मचा हुआ हल्ला टी वी में ,देर से आयी जोर की आयी
आना ही था मुझको भइया ,हर वर्ष ही आती हूँ मैं
कोहरा संग -संग लाती हूँ मैं ,कहीं घनेरा ,कहीं अँधेरा
चालीस दिनों का पड़ता चीला ,बिजली की छिपम - छिपाई
तापो सिगड़ी ,अलाव जलाओ ,मत मुहं ढ़क बच्चोसो जाओ
नर्म - नाजुक लवंग लता सी, कन्या हूँ मैं ऋतुराज की
कड़क सर्दी सुन अपना नाम , लो रूस गयी फिर हिम गिराई
झूम झपक बरस जाऊं मैं ,श्वेत धवल हिम बन झम-झम
कोमल नरम हैं मेरे फाहें , करदें सबका हर्षित मन
भोलू चीखा बर्फ पड़ी है ,नाचे मुनिया छम-छम छम
रंग बिरंगे स्वेटर पहनो ,दस्ताने मोज़े टोपा ओढो।
करो ठीक पुराने स्वैटर ,सी दो- बटन लगादो उनपर
ढूंढो आसपास सब अपने ,जो हैं वंचित देदो जाकर
आँखों में उनके ख़ुशी मिलेगी ,माँ ने आशीषें बरसाई
तिलबुग्गा तिल के लड्डू , मूंगफली ,गाजर का हलुआ
रेवड़ियों की कुट -कु ट से ,सर्दी की किट किट लजाई
कुट -घुट की गुड की चाय सर्दी का मजा है भाय
घर नहीं हैं जिनके देखो ,उनको जाके कंबल बांटो
तुम सबके प्यारे हो जाओगे ,आशीष अनेकों पा जाओगे।।आभा।।
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