सूना -सूना सा ये पथ ,
रीता है मन ;
झोली जीवन की खाली ;
जन्म लिया दुलार पाया ;
मात- पिता बाबा नाना
सब पे ही अधिकार पाया ;
और बढे फिर, सखा- सहोदर ;
भाई- बहन, नाते -रिश्ते ;
पर झोली जीवन की खाली ?
जीवन पथ पर चलते -चलते ,
प्यार मिला . संसार मिला ;
धन -वैभव बच्चों का आना ,
जीवन में उत्साह मिला ;
सासरे के सभी रिश्ते ;
स्नेह उलीचा ,स्नेह मिला ,
पर झोली जीवन की खाली ?
प्यार और इजहार हमेशा ,
इंकार और दुत्कार कहीं पर ;
कुछ पाया ,खोया भी कुछ ;
मोती से वो स्वप्न सुहाने;
भर -भर के झोली में डाले;
अरमानो से सजी सेज वह ,
उल्लासों का सुन्दर जंगल ;
पर झोली जीवन की खाली ?
सीने वाले ने शायद ,
गहरी सिल दी है ये झोली ,
मेरे अंतर में बैठा वो ;
मुझ से बातें करता रहता ;
उसे ढूंढने को उलटी जब ;
झोली जीवनकी खाली ?
अब तेरी यादों के मोती ;
तुझ् संग बीते पल की बातें ,
कुछ आंसू - कुछ तन्हाई ,
स्वप्न सुहाने उस पार मिलन के ,
अंजुरी भर झोली में हैं डाले ,
यादों के ये स्वर्णिम मोती ,
जब चाहूँ मैं चुग लेती हूँ
फिर सब यादों से मै ,ये
खाली झोली भर लेती हूँ ..
मेरे अंतर में रहने वाले ,
तुझ को जो पहचान सकूँ मैं ,
अपने जीवन की झोली में
तेरे ही करतब देखूं मैं .
सदियों से तू खेल खिलाता ;
भर भर झोली हमें लुभाता
पर झोली जीवन की खाली ?
क्यूँ ? झोली जीवन की खाली !
.....आभा ......
रीता है मन ;
झोली जीवन की खाली ;
जन्म लिया दुलार पाया ;
मात- पिता बाबा नाना
सब पे ही अधिकार पाया ;
और बढे फिर, सखा- सहोदर ;
भाई- बहन, नाते -रिश्ते ;
पर झोली जीवन की खाली ?
जीवन पथ पर चलते -चलते ,
प्यार मिला . संसार मिला ;
धन -वैभव बच्चों का आना ,
जीवन में उत्साह मिला ;
सासरे के सभी रिश्ते ;
स्नेह उलीचा ,स्नेह मिला ,
पर झोली जीवन की खाली ?
प्यार और इजहार हमेशा ,
इंकार और दुत्कार कहीं पर ;
कुछ पाया ,खोया भी कुछ ;
मोती से वो स्वप्न सुहाने;
भर -भर के झोली में डाले;
अरमानो से सजी सेज वह ,
उल्लासों का सुन्दर जंगल ;
पर झोली जीवन की खाली ?
सीने वाले ने शायद ,
गहरी सिल दी है ये झोली ,
मेरे अंतर में बैठा वो ;
मुझ से बातें करता रहता ;
उसे ढूंढने को उलटी जब ;
झोली जीवनकी खाली ?
अब तेरी यादों के मोती ;
तुझ् संग बीते पल की बातें ,
कुछ आंसू - कुछ तन्हाई ,
स्वप्न सुहाने उस पार मिलन के ,
अंजुरी भर झोली में हैं डाले ,
यादों के ये स्वर्णिम मोती ,
जब चाहूँ मैं चुग लेती हूँ
फिर सब यादों से मै ,ये
खाली झोली भर लेती हूँ ..
मेरे अंतर में रहने वाले ,
तुझ को जो पहचान सकूँ मैं ,
अपने जीवन की झोली में
तेरे ही करतब देखूं मैं .
सदियों से तू खेल खिलाता ;
भर भर झोली हमें लुभाता
पर झोली जीवन की खाली ?
क्यूँ ? झोली जीवन की खाली !
.....आभा ......
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