भये प्रगट कृपाला ..- राम तुम आशा विश्वास हो हमारे ,तुम जीवन धन हो हमारे , आज बधाई हमें भी तुम्हारे जनम्बार की ------
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'' भये प्रगट कृपाला दीन दयाला कौसल्या हितकारी ! '' ..
चहुँ और आनन्द व्याप्त हो गया ,स्वर्ग की अप्सराएँ और देवता पुष्प वर्षा करने लगे ,माता को अपना विराट स्वरूप दिखाया तो वो हाथ जोड़ के बोली प्रभु मुझे तो आपके बाल रूप में ही रमना है , मैं तो भक्त हूँ आपको अपने अनुशासन में रखना चाहती हूँ ,पुत्र भाव का वरदान माँगा था , सो बालरूप में आजाओ और ये ब्रह्म वाली स्मृति मेरी बुद्धि से मिट जाए अन्यथा मैं आपके कान कैसे पकडूँगी शरारत करने पे ..
"सुनी बचन सुजाना रोदन ठाना होई बालक सुर भूपा |''
और रुदन सुनके दशरथ के आनंद का तो कहना ही क्या ..
'' मानहुं ब्रह्मानन्द सामना "|
ब्रह्म को पा लेने का आनंद | अब और क्या चाहिए जब ब्रह्म को ही पा लिया पर नहीं दशरथ महाराज कहते हैं..
"जाकर नाम सुनत सुभ होई मोरे गृह आवा प्रभु सोई |
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'' भये प्रगट कृपाला दीन दयाला कौसल्या हितकारी ! '' ..
चहुँ और आनन्द व्याप्त हो गया ,स्वर्ग की अप्सराएँ और देवता पुष्प वर्षा करने लगे ,माता को अपना विराट स्वरूप दिखाया तो वो हाथ जोड़ के बोली प्रभु मुझे तो आपके बाल रूप में ही रमना है , मैं तो भक्त हूँ आपको अपने अनुशासन में रखना चाहती हूँ ,पुत्र भाव का वरदान माँगा था , सो बालरूप में आजाओ और ये ब्रह्म वाली स्मृति मेरी बुद्धि से मिट जाए अन्यथा मैं आपके कान कैसे पकडूँगी शरारत करने पे ..
"सुनी बचन सुजाना रोदन ठाना होई बालक सुर भूपा |''
और रुदन सुनके दशरथ के आनंद का तो कहना ही क्या ..
'' मानहुं ब्रह्मानन्द सामना "|
ब्रह्म को पा लेने का आनंद | अब और क्या चाहिए जब ब्रह्म को ही पा लिया पर नहीं दशरथ महाराज कहते हैं..
"जाकर नाम सुनत सुभ होई मोरे गृह आवा प्रभु सोई |
परमानन्द पूरि मन राजा कहा बुलाई बजावहु बाजा || ..
भला परमानन्द पाने के बाद भी कोई आनंद शेष रहता है ,जी हाँ --उस आनंद को सबके साथ बाँटना . संगीत -नृत्य -गीत -और अपने को भूल जाना सबके साथ मिलके झूमना , आज तो
' वृन्द -वृन्द मिली चलीं लोगाईं सहज श्रृंगार किये उठी धाई' ||
राजा अपने आनंद को सबके साथ बाँटना चाहते हैं | सो वो बाजे बजाने को कह रहे है दान दे रहे हैं ,पित्रों को पूज रहे हैं | आज भी हिन्दू परिवारों में किसी भी उत्सव- त्यौहारमें देवता से पहले पित्रों के लिए थाली लगाई जाती है ,फिर बच्चे का जन्म तो पित्रों को सबसे बड़ा उपहार है ,उनकी पूजा अर्चना सर्व प्रथम होनी ही चाहिए |
भला परमानन्द पाने के बाद भी कोई आनंद शेष रहता है ,जी हाँ --उस आनंद को सबके साथ बाँटना . संगीत -नृत्य -गीत -और अपने को भूल जाना सबके साथ मिलके झूमना , आज तो
' वृन्द -वृन्द मिली चलीं लोगाईं सहज श्रृंगार किये उठी धाई' ||
राजा अपने आनंद को सबके साथ बाँटना चाहते हैं | सो वो बाजे बजाने को कह रहे है दान दे रहे हैं ,पित्रों को पूज रहे हैं | आज भी हिन्दू परिवारों में किसी भी उत्सव- त्यौहारमें देवता से पहले पित्रों के लिए थाली लगाई जाती है ,फिर बच्चे का जन्म तो पित्रों को सबसे बड़ा उपहार है ,उनकी पूजा अर्चना सर्व प्रथम होनी ही चाहिए |
राम हमारी अस्मिता के द्योतक ,मर्यादा-पुरुषोत्तम |
भारतीय मनीषा की सबसे पहली कविता के नायक |
आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने आदिकवि बाल्मीकि के समय में थे |
और कलयुग में तो केवल राम नाम ही आधार है
कलयुग केवल राम आधारा ,सुमरि -सुमरि नर उतरहिं पारा --तुलसी कहते हैं -
एहि कलि-काल न साधन दूजा जोग जग्य जप तप व्रत पूजा ||
रामहि सुमिरिअ गाइअ रामहि संतत सुनिअ राम गुन ग्रामहि ||
बस केवल रामनाम से ही उद्धार है तो फिर ऐसे ठाकुरजी का जन्म-दिवस क्यूँ न प्रफ्फुलित कर दे सबको | सब खुश होवें ,सुखी होवें और देश समृद्ध होवे इसी कामना के साथ सभी को रामनवमी की शुभकामनायें | नौ दिन के व्रत-उपवास और माँ की आराधना से उर्ज्वसित मन सकारात्मक होवे |
देश भी परिवर्तन के कगार पे है | आशा है आंशिक ही सही भारत में राम-राज्य आये और देश के दैहिक -दैविक और भौतिक तापों के हरण का मार्ग प्रशस्त हो | वन्दे मातरम !
रामजन्म के इस शुभ अवसर पे आप सबको बधाई ..आभा
एहि कलि-काल न साधन दूजा जोग जग्य जप तप व्रत पूजा ||
रामहि सुमिरिअ गाइअ रामहि संतत सुनिअ राम गुन ग्रामहि ||
बस केवल रामनाम से ही उद्धार है तो फिर ऐसे ठाकुरजी का जन्म-दिवस क्यूँ न प्रफ्फुलित कर दे सबको | सब खुश होवें ,सुखी होवें और देश समृद्ध होवे इसी कामना के साथ सभी को रामनवमी की शुभकामनायें | नौ दिन के व्रत-उपवास और माँ की आराधना से उर्ज्वसित मन सकारात्मक होवे |
देश भी परिवर्तन के कगार पे है | आशा है आंशिक ही सही भारत में राम-राज्य आये और देश के दैहिक -दैविक और भौतिक तापों के हरण का मार्ग प्रशस्त हो | वन्दे मातरम !
रामजन्म के इस शुभ अवसर पे आप सबको बधाई ..आभा
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