[ हमारा पहला फूल ]
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पल वो इक वरदान सृष्टि का ,
थी मौन जगत की रागिनी ,
थे व्यग्र वे और मैं उन्मादिनी .
कानों में गूंज उठा रुदन !!
झंकृत रोम -रोम ,बज उठा कण -कण .
तन पुलकित मन मधुरतम .
वेदना सब मिट गयी ,
गीत होंठों पर था आया .
रुदन में अहसास सुख का ,
इक पल में जीवन सिमट आया ,
कोमल मधुर स्पर्श ,चकित हम दोनों हुए ,
हो मुखर आलय गया ,
देखते थे स्वप्न जो हम ,
विस्तार उसका हमने पाया ,
नर्म ,नाजुक और कोमल ,
हम दोनों भी हो गए हैं अब ,
सेज फूलों की ,,गोद अपनी हो गयी है
,अपलक निहारें हम तुम्हें जब
नीर नयन बहाते सुरभित ,
मानो स्वागत में मन;; मकरंद में ,
कुमकुम ,चंदन मिलाकर,
नयनों की राह बिखराने लगा हो .
कृतज्ञं तुम्हारे हैं हम बच्चे ,
श्री ,सुख सब तुम लेके आये ,
सृजन करता हो गए हम ,
गौरव, पूर्णता का अहसास पाया ,
हो स्पंदन हमारे हृदय का ,
दिवस निशा के शाश्वत स्वप्न हमारे ,
दीप हो घर के हमारे :;;;
आज पा कर के तुम्हें ,
स्वर्ण हर पल हो गया है ,
अंतरजगत की सूक्ष्मता का
तुम तो हो विस्तार बच्चे
सृजन की अनुभूति हो तुम ,
पूर्णता का आभास बच्चे ,
साथ हों हम सब सदा ही ,
आशीष प्रभु का सदा तुम पाओ ,
आज घरकी जो ये सुरभि है ,
सदा महके जीवन में तुम्हारे ,
तुम बढ़ो फूलो फलो ,
जीवन हो उज्ज्वल ,उन्नत ,तुम्हारा
बाधाएं हों सब हमारी ,
तुम सृष्टि का वरदान हो ओ।।।।। .आभा
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पल वो इक वरदान सृष्टि का ,
थी मौन जगत की रागिनी ,
थे व्यग्र वे और मैं उन्मादिनी .
कानों में गूंज उठा रुदन !!
झंकृत रोम -रोम ,बज उठा कण -कण .
तन पुलकित मन मधुरतम .
वेदना सब मिट गयी ,
गीत होंठों पर था आया .
रुदन में अहसास सुख का ,
इक पल में जीवन सिमट आया ,
कोमल मधुर स्पर्श ,चकित हम दोनों हुए ,
हो मुखर आलय गया ,
देखते थे स्वप्न जो हम ,
विस्तार उसका हमने पाया ,
नर्म ,नाजुक और कोमल ,
हम दोनों भी हो गए हैं अब ,
सेज फूलों की ,,गोद अपनी हो गयी है
,अपलक निहारें हम तुम्हें जब
नीर नयन बहाते सुरभित ,
मानो स्वागत में मन;; मकरंद में ,
कुमकुम ,चंदन मिलाकर,
नयनों की राह बिखराने लगा हो .
कृतज्ञं तुम्हारे हैं हम बच्चे ,
श्री ,सुख सब तुम लेके आये ,
सृजन करता हो गए हम ,
गौरव, पूर्णता का अहसास पाया ,
हो स्पंदन हमारे हृदय का ,
दिवस निशा के शाश्वत स्वप्न हमारे ,
दीप हो घर के हमारे :;;;
आज पा कर के तुम्हें ,
स्वर्ण हर पल हो गया है ,
अंतरजगत की सूक्ष्मता का
तुम तो हो विस्तार बच्चे
सृजन की अनुभूति हो तुम ,
पूर्णता का आभास बच्चे ,
साथ हों हम सब सदा ही ,
आशीष प्रभु का सदा तुम पाओ ,
आज घरकी जो ये सुरभि है ,
सदा महके जीवन में तुम्हारे ,
तुम बढ़ो फूलो फलो ,
जीवन हो उज्ज्वल ,उन्नत ,तुम्हारा
बाधाएं हों सब हमारी ,
तुम सृष्टि का वरदान हो ओ।।।।। .आभा
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