Sunday, 27 January 2013

                                     [गीतों के बीज ]
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      मन की बगिया में ,गीतों के बीजों को बो दूँ तो ,
       रंग रंगीले भावों के कितने अंकुर उग आयेंगे 
      शिशु की मानिंद झूम ख़ुशी में मन गुन -गुन बहलायेगा 
     तरह तरह के भावों में रंग भर तितली बन पंख पसारेगा .
     मन की बगिया में ,गीतों के बीजों को बो दूँ तो ,
     पंथ रंगीला हो जाएगा ,सुर से सुर ,,मिल जाएगा 
     मन बगिया बन जायेगी ख़्वाब - गाह हर पाखी की ,
     नखत उतर सब आयेंगे जीवन की इस बगिया में ,
     अंजुरी भर गीतों के बीजों की मन बगिया में बो दूँ मैं ,
     अंकुर आने की आशा में फिर हर दिन बगिया में घूमूं मैं .........
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....................................................आभा ...............................

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