[गीतों के बीज ]
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मन की बगिया में ,गीतों के बीजों को बो दूँ तो ,
रंग रंगीले भावों के कितने अंकुर उग आयेंगे
शिशु की मानिंद झूम ख़ुशी में मन गुन -गुन बहलायेगा
तरह तरह के भावों में रंग भर तितली बन पंख पसारेगा .
मन की बगिया में ,गीतों के बीजों को बो दूँ तो ,
पंथ रंगीला हो जाएगा ,सुर से सुर ,,मिल जाएगा
मन बगिया बन जायेगी ख़्वाब - गाह हर पाखी की ,
नखत उतर सब आयेंगे जीवन की इस बगिया में ,
अंजुरी भर गीतों के बीजों की मन बगिया में बो दूँ मैं ,
अंकुर आने की आशा में फिर हर दिन बगिया में घूमूं मैं .........
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....................................................आभा ...............................
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