Wednesday, 2 January 2013


आज चाँद ने है मुझसे पूछा !जानती हो व्योम के संगीत को तुम ?
शांत ,नीरव तम घिरे उस व्योम के संगीत को सुनने लगी मैं ,
करने आलिंगन धरा का ,व्यथित होकर व्योम रोता ,
तारकों में जगमगाती झिलमिलाहट ! ,अश्रु पूरित नयन उसके ,
मौन नभ में, व्योम के सुनसान घर में ,चिर मिलन के गीत गाते ,,
अश्रु जब नयनों से नभ के ,उस कंटकित से सुख को पाने ,
करने आलिंगन धरा का ,टूट कर चल कर गगन से ,
वेदना बन कर विरह की तरु तृणों वन पुष्प पल्लव में सुशोभित ,
उषा की पहली किरण संग ओस की बूंदों में ढल कर
मधुर कोमल स्पर्श से अंचल धरा का चूमते हैं
रंग प्राची में सुनहरा फ़ैल जाता ,
अरुणिमा कुमकुम से सज कर गीत गाती ,
और शबनमी आंसू जो आये थे गगन से ,
जज्ब हो करके धरा में ,लिख दिया करते हैं! सीने में ! कथा पी के मिलन की
संगीत करुणा से भरा जो व्योम का था ,चेतना बन कर जगाता है उषा को ,
है अनोखा व्योम का संगीत यह तो मौन चेतनता यहाँ देती दिखाई ,
अब तो बस तारों में देखू छवि तुम्हारी ,
औ व्योम के संगीत को सुनने हु आती चाँद से बातें करू ,
मैं ढूंढने लगती हूँ तुम को ,इस जमी से व्योम तक तुम ही देते हो दिखाई ,
............................................... ...........................................तुम ही देते हो दिखाई !!!
,,,,,,,,,,,,,,,,बिछुड़ता कोई नहीं है जज्ब हो जाता है दिल में ,,,,,,,,,,,,,,आभा ..

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