मानव को परिवार और समाज में रहते हुए रिश्तों को जीते हुए कई बार कडवी सच्चाइयों से रु- बरु होना पड़ता है .परिवार में समरसता बनाये रखना आसन नही होता है मन में उठते हुए विद्रोहको ठंडा पानी डाल कर जमा कर बर्फ बना देना होता है
----------------
सर्द जज्बात ---
मानव मन के झंझावत को
मन में उमड़े तूफानों को
बांध तोड़ कर बहना चाहे
सरिता की उद्दात लहर को
किसने समझा ,किसने जाना।
पर्वत से हिम पिघले ,
सरिता बन जीवन देती
----------------
सर्द जज्बात ---
मानव मन के झंझावत को
मन में उमड़े तूफानों को
बांध तोड़ कर बहना चाहे
सरिता की उद्दात लहर को
किसने समझा ,किसने जाना।
पर्वत से हिम पिघले ,
सरिता बन जीवन देती
मेरे मन की बर्फ पिघल -
मुझको जीवन दे पायेगी ?
शिखरों पर पड़ी बर्फ तो
सर्द नदी बन जायेगी ,
हिमनद मन का गर पिघला
लावे सा बह जायेगा
इस बर्फ की अग्नि में
कितने जीवन जल जायंगे .?
एक जरा सी हलचल से
भूकंप हजारों आयेंगे।
मन में उमड़े तूफानों को ,
यादों के इस झंझावत को ,
सर्द बर्फ से ढक लूं मैं ,
ना ही छेडू ना ही कुरेदूं ,
बस अंतरमन में रख लूँ मैं .
--------------------------------
इस जीवन संघर्ष को
पर्व मान कर जीलूं मैं
बर्फ बहे ना लावा बनकर
हिमालय सी बन जाऊं मैं
अंतर्मन के तूफानों को
सर्द बर्फ से ढक दूँ मैं ----- आभा --
मुझको जीवन दे पायेगी ?
शिखरों पर पड़ी बर्फ तो
सर्द नदी बन जायेगी ,
हिमनद मन का गर पिघला
लावे सा बह जायेगा
इस बर्फ की अग्नि में
कितने जीवन जल जायंगे .?
एक जरा सी हलचल से
भूकंप हजारों आयेंगे।
मन में उमड़े तूफानों को ,
यादों के इस झंझावत को ,
सर्द बर्फ से ढक लूं मैं ,
ना ही छेडू ना ही कुरेदूं ,
बस अंतरमन में रख लूँ मैं .
--------------------------------
इस जीवन संघर्ष को
पर्व मान कर जीलूं मैं
बर्फ बहे ना लावा बनकर
हिमालय सी बन जाऊं मैं
अंतर्मन के तूफानों को
सर्द बर्फ से ढक दूँ मैं ----- आभा --
No comments:
Post a Comment