Saturday, 15 October 2016

ट्रिपिल तलाक और यूनिफार्म सिविल कोड पे कठमुल्ले साबित करने की भरसक कोशिस करते हुए की हम नही बदलेंगे --हर चैनल पे एक ही बात ,पर इस्लामिक स्कालरों को  भी उन्ही की बीन पे नाचते देखना क्षुब्ध कर देता है।  हम संविधान को नही मानते ,एक आध ने तो छाती ठोक के कहा हम मुसलमान पहले हैं फिर इंडियन।
इतिहास गवाह  है ,हिंदुस्तान में लगभग -लगभग सभी मुसलमान [ अपवाद भी कुछ  होंगे ] कन्वर्टेड हैं ,कुछ  हिन्दू  मुस्लिम आक्रांताओं के डर से कन्वर्ट हुए कुछ  लालच के कारण। तो  क्या संविधान के पालन के लिए इनके ऊपर फिर वही नीति नही अपनानी चाहिये , बीन के आगे सभी नाचेंगे  ---कड़ाई करने का मौसम आ  गया  है  शायद  --गीदड़  भभकियों  से  डरने से  समय  की  ही  बर्बादी  होगी।  तुलसी बाबा के शब्दों में ----
''फुलहिं - फरहिं न बेंत जदपि सुधा बरसहिं जलद ''------

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