Tuesday, 18 October 2016

कविता साकी बन जाती
दुःख चिंता बन जाते हाला
शौक साधना बन कर आता 

हाथ लिए जग का प्याला
चित्रपटी मेरा ये मन
कलम बनी है मधुशाला -

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