फलक को छूने को पंख परवाज तो बनने लगे हैं लेकिन ,
जालिम शिकारी का हथियार बहुत पैना है ......आभा ...।
. तेरी वह स्नेहिल वाणी ,कैसे मैं सुन पाऊँगी ,
- अपने दुःख दर्दों को माँ
- अब मैं किसे सुनाऊंगी
- .दुःख में सुख की वर्षा थी तुम ,
- विपद ज्वाल में सरिता थीं .
- अन्धकार से इस जीवन की
- तुम ही स्वर्णिम बाती थीं .
- अपने इन निर्मम हाथों से ,
- तुझे चिता पर रक्खा मैने ,
- तू मेरी शीतल छाया थी ,
- मैने दिया अग्नि रथ तुमको .
- कैसे शांत करूँ इस मन को ,
- जब विदा तुम्हें मैं कर आई .
- दूर देश से आई थी तुम ,
- वहीँ तुम्हें पहुंचा आई .
- बैठ ज्वाल -रथ पे माँ तुम ,
- पास पिता के चली गयीं
- ज्वालाओं के पार देश से
- आये पिता तुझे लेने ,
- मैने देखा है ,तू !खुश थी ,
- शांत मन और शीतल तन थी .
- कैसी ये छलना जीवन की,
- जिसने हमको जन्म दिया
- कर सर्वस्व निछावर अपना ,
- तन मन हम पे वार दिया .
- उसी मात को आज हमीं ने ,
- अग्नि रथ पे बिठा दिया ,
- और शांति हेतू फिर उसकी ,
- अंजुरी भर गंगाजल दिया ,
- करुणा भरे हृदय से हे माँ !
- हम सब तुझको नमन करें
- स्नेहों के दृग -जल से माँ ,
- हम तेरा अभिषेक करें .
- रहो पिता के पास ख़ुशी से .
- दो आशीष हमें हर क्षण
- सच के पथ पर चलें हमेशा .
- जीवन हो अपना पावन .
- ब्रह्म -मय संसार ये सारा .
- तूने ही यह दी थी सीख .
- मेरे ब्रह्म तुम्ही रहना .
- यह हाथ जोड़ कर मांगूं भीख .
- माँ !तूने मुझे कहा इक दिन था ,
- बेटी !बात मेरी इक रखना ध्यान
- आंसूं तुम न बहाना मुझ -पर
- बस इतना दे देना मुझको मान .
- इसीलिये माँ !----------------
- लेखनी में अश्रु स्याही .
- अक्षरों के फूल लेकर
- भावना के मोतियों से .
- मैं कर रही श्रिंगार तेरा
- अमर माँ बलिदान तेरा
- युगों तक रहेगा नाम तेरा
- माँ रहेगा नाम तेरा .................
- .................................................................................
- ................................ममतामयी माँ को अश्रु -पूरित भावों की श्रधान्जली ...............
- ................................आभा ....................................................
- .