Tuesday, 20 February 2018

मुहम्मद -गोरी ,मुहमद -गजनी ,मुहमद- कासिम,  ऐबक,  तुगलक, तैमूरलंग नादिर शाह, अहमद शाह अब्दाली बाबर ,अकबर औरंगजेब एवं  अन्य क्रूर शासकों की प्रताड़ना तथा बर्बरता की कहानियां रूह कंपाने वाली  हैं।  अकेले औरंगजेब ने  ही हजारों मंदिर तोड़े , बिहार, बंगाल, उड़ीसा , राजस्थान,  महाराष्ट्र, हैदराबाद,कर्नाटक  गुजरात,  उत्तरप्रदेश , पंजाब  और अन्य कई स्थानों में  हजारों मंदिर तुडवाये गए  मूर्तियों को नष्ट-भ्रष्ट किया गया और उन्ही ईंट पत्थरों से वहाँ मस्जिदों का निर्माण करवाया। इनमें से काशी विश्वनाथ का प्रसिद्ध मंदिर और उज्जैन के अन्य मंदिर भी शामिल हैं। यह सब इस्लाम, अल्लाह और पैगम्बर के नाम पर किया गया।
---विडंबना --मुट्ठी भर आतातायी अत्याचार ,लूटपाट ,हिंसा ,बलात्कार करते रहे ,मंदिर तोड़ते रहे अपने मजहब के नाम पे और हम अपने धर्म के नाम पे आरती घंटे घड़ियाल बजाते रहे प्रभु को पुकारते रहे --आर्त कंठ से भजन गाते रहे --जब प्रभु नहीं आये तो सोमनाथ ,अयोध्या ,मथुरा ,काशी का लुटना ''प्रभु की ऐसी ही इच्छा थी'' मान के देखते रहे। मुट्ठी भर यवन भारत के टुकड़े कर पाकिस्तान बनवा गए हम भारत की कुंडली लेके बैठ गए ,हमारे तो भाग्य में ही टूटन लिखी थी।
 मानसरोवर चीन ले गया ,हिंगलाज की भवानी पाकिस्तानियों के कब्जे में है ,अमरनाथ पे आतंकवादियों का साया है।
ये तीर्थ स्थान मूर्ति पूजा का ही स्थान नहीं हैं ,ये हमारी -सांस्कृतिक -सामाजिक -धार्मिक -आध्यात्मिक -मनोवैज्ञानिक -राजनैतिक और लोकतांत्रिक और बौद्धिक विकास की यात्रा की विरासतें है जिन्हें हमने अपनी कायरता से खो दिया या खोने जा रहे हैं। 
समाज में हर व्यक्ति लड़ाका नहीं हो सकता जो छीना झपटी कर ले पर अपने स्व के अस्तित्व पे बात आये तो भाईचारे और मिलबांट के खाने वाले भी अपने लिए उठ खड़े होते हैं -
तीर्थ यात्राओं पे प्रश्न चिन्ह लगाना ,उसे मूर्ति पूजा कहके खारिज करना ये सब प्रवृत्तियां ही आतंकवादी को पोषित करती हैं। 
हम ईश्वर को नहीं माने न सही ,अपने को तो मानते हैं न ,और हम हैं तो हमारे पूर्वज भी रहे ही होंगे। अपने सम्मान पे जरा सी भी ठेस हमें बर्दाश्त नहीं होती तो अपने पूर्वजों की सांझी विरासत जो सदियों से ही नहीं युगों से हमारे विकास की पहचान है को हमसे कोई भी छीन ले और हम भगवान की मर्जी कहके अपने घरों में आराम फ़रमायें ,फेसबुक पे अपनी प्रोफ़ाइल पिक बदलें , बुद्धिजीवी ,आतंकवादी और उनके समर्थकों को सही ठहराने के लिए अपने अनेकों तर्क कुतर्क दें। इस बुद्धिविलासिता  ( mental luxury ) की क्षुधा पूर्ति के लिये अपने जैसे कुछ लोगों की वाहवाही ही अपना ध्येय बना लें --













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