Tuesday, 20 February 2018



आराधन को प्रिय तेरे !
हृदय शूल के अक्षत लायी हूँ .
भावों के चंदन से महका कर !
मैं तुझे सजाने आयी हूँ .

साँसों की डोरी के अगरु जला ,
सुरभित साँसों से महका कर ,
दीप जला कर स्नेह सुधा का ,
अश्रु जल का तेल डाला .
अभिषेक तेरा अश्रु जल-कण से ही करने आयी हूँ .
प्रिय तेरे आराधन को मैं हृदय शूल के अक्षत लायी हूँ .
रंग बिरंगे ,हंसते रोते ,
कुछ काँटों और कुछ पराग से ,
चुन-चुन कर स्वप्न सुमन ,
मैं ,भावों की क्यारी से लायी हूँ ,
दो नयन  पुजारी तेरे हैं ,
,देह पुजारन है तेरी ,
उस पर  करुना का शंख बजा ,
आरत हरण को आई हूँ .
जिन क्षणों में चले गये तुम ,
वे क्षण ही जीवन धन हैं मेरे ,
सुमधुर यादों की माला ही ,
अर्चन वंदन को लायी हूँ .
प्रिय तेरे आराधन को में हृदय शूल के  अक्षत लायी हूँ .
भावों के चन्दन से महकाकर मै तुझे सजाने आयी हूँ।।आभा।।

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