संक्षेप में फ्यूंली -टेक्सास में रहते हुए फ्यूंली फ़ूलने लगी ,अन्वार में पहाड़ों से मिलती जुलती , मेरे घर जैसी ही , वैसी ही जैसी मेरे देश में ---सबै भूमि गोपाल की तामे वही समाय --तेरा- मेरा देश और तेरा -मेरा भगवान ये तो मनुष्य की शरारतों का परिणाम है ----
''कबीर सोच बिचारिया ,दूजा कोई नाहिं।
आपा बार जब चीन्हिया। उलटि समाना मांहि।।''-----
आपा बार जब चीन्हिया। उलटि समाना मांहि।।''-----
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