Tuesday, 20 February 2018

   --दादी अम्मा बस बस बस बंद करो अब ये बुढ़भस --बैठे -ठाले की कलम ---- 
  '' शिखण्डी ''
माने ---
मोर , त्रिदेव [ब्रह्मा विष्णु महेश ] का एक नाम ,काकुल [ घुंघराले बालों वाला ]
-------शिखण्डी राजा द्रुपद की प्यारी सी बेटी ,मयूरी सी सुंदर ,घुंघराली लटें ,चारों और रंगीनियाँ बिखेरती हुई सभी को ख़ुशी देने वाली ,साक्षात शिव का अवतार ,[भीष्म को परशुराम भी नहीं मार पाये -पर- आये हैं सो जाएंगे तो शिव को आना पड़ा शिखण्डिनी के रूप में ]
महाभारत काल में  ''लिंग परिवर्तन शल्य क्रिया '' का अनुपम उदाहरण जो स्थूणाकर्ण नामक यक्ष के द्वारा की गयी ,यक्ष जो कुबेर का सेवक था। विज्ञान का चरम देखने को मिलता है महाभारत काल में ,सौ कौरव वो भी कृत्रिम गर्भाशय में जो घड़े के आकार का था ,शिखण्डी का लिंग परिवर्तन ,3 D flooring [जहां फर्श पे तालाब  का अनुमान होने पे दुर्योधन गिर गया और द्रौपदी हंस दी ,]---और भी कितनी ही घटनायें जो विज्ञान के चर्मोंतकर्ष की तस्कीद करती हैं ,अर्जुन का ब्रह्मलोक में जाना ,देवलोक में जाना ,परशुराम का ध्वनि की गति से यात्रा करना ,--ये सब फिर कभी। आज शिखण्डिनी।
पूर्व में काशीराज की बिटिया अम्बा ,भीष्म वध का प्रण लेकर जन्मी --शिव के वरदान स्वरूप जन्म से कन्या थी पर कुबेर के एक सेवक -यक्ष स्थूणाकर्ण ने उसे पुरुष रूप दिया।
कन्या होने पे भी उसकी शिक्षा दीक्षा राजकुमारों की तरह हुई ,वो अस्त्र-शस्त्र में निपुण वीरांगना थी।
----आज हम शिखण्डी का अर्थ कितना गलत लेते है --गाली के रूप में --क्यूँ --हमने कभी शिखंडी के विषय में पढ़ने की चेष्टा ही नहीं की , उसे नपुंसक का पर्याय मान लिया --जबकि वह जब शिखण्डिनी थी तो कन्या थी और शल्य क्रिया के बाद पुरुष हुई तो पूर्ण पुरुष थी ---शिखंडी ---बस क्यूंकि वो जन्म से स्त्री था  इसलिए भीष्म ने उस पे शस्त्र नहीं उठाया न की वो नपुंसक या कायर था।
-----शास्त्रों का ज्ञान न होने से हम लोग अर्थ का अनर्थ कर डालते हैं वो भी गर्वोक्ति के साथ ---शिखंडी को नहीं किसी मर्द को भेजिये मुकाबले को ---अरे भाग्यवान शिखंडी भी पुरुष ही था ,हमारी उन्नत सांस्कृतिक और वैज्ञानिक विरासत की एक अनुपम कड़ी   --जिसपे हमे गर्व होना चाहिए --
महाभारत में उद्योग पर्व में अम्बोपाख्यान पर्व 173 से 196 अध्याय तक विस्तार लिए हुए है जहां भीष्म अम्बा के शिखंडी बनने का वर्णन करते हैं और वो शिखंडीपर अस्त्र क्यों नहीं चलाएंगे ये बता रहे है ----कुछ तो समय गुजारिये सद्ग्रन्थों के साथ----



No comments:

Post a Comment