सीखने के दिन ,शब्दकोश के शब्द से तुकतबंदी
========
फुलकारी जो कढ़ी है माँ के दुशाले में ,
फुलवारी सी महक रही है ओ ! मेरी सखी |
फुरेरी बहुत है मेरे फुरेरू में ,
फुंकनी से फूंक के ,फुटके तले ,चीड़ के छिलके को दूँ सांस |
फुकैया नहीं हूँ ,मतलब की बस करूँ हूँ बात ,
फंटूश कैसा भी हो ,लूँ पल भर में साध |
फिकरा वो उछालूं हवा में ,
फिरकी से सब घूम जाएँ |
फूजला सब साफ़ कर दिया माँ मैंने रसोई से ,
फीका नहीं था खाना ,नमक ठीक था दाल में |
फरफरा रही है जो ये चुनर तेरी सहेली ,अरे! ये क्या ?
फुचड़ा निकल रहा है इस चुनर से क्यूँ ?
फुट्टैल है ये क्यूँ आंचल से विलग हुआ ,
फुंदने बना लेंगे अब इन रेशों से हम |
फुदकी सिखा रही है ---
फुदकना चुरुगनको ,
फुद्कें इधर -उधर हम सखियाँ भी संग -संग यूँ ही |
फीस दी है आज क्लास में मास्टरजी को --(हमारे समय में फीस मास्टर जी को ही दी जाती थी )
फ्री नहीं है सरकारी स्कूल में भी पढाई भई |
फुट नोट देख के ,कापी में तू मेरी ,
फुल्ल-फुल्ल खिल रही है --
फूल गुलाब सी सखी |
फुटहेरा खाते हुए कल शाम रामलीला मैदान में ,
फिल्म शहीद देखी,जो बहुत अच्छी रही
फिकर नहीं है मुझे ,क्यूँ ?
फिरके उसने मुझे देखा ;
फंतासी में होगा ,दीवाना हुआ है |
फिरोजा देख के होता है कुछ दिल में ,
फिरोजी ही भाता है मुझे ये है कैसी पहेली |
फिसड्डी नहीं हैं हम आ खेलें कब्बड्डी ,
फिसलन भरा आंगन है ,बारिश पूरी रात है हो ली |
फर -फर चली हवा ,सर्दी है सताती ,
फेनिल है ये झरने का जल , बूंदें ,ठिठुरन हैं जगाती |
फुलैल-तेल ,क्रीम -कंघा सबही लगाते ,
फव्वारे के नीचे आ आग जलाएं |
फुलौरा -फुलौरी आ चटनी बनाएं ,
फूल गेंदुवा की माला मन्दिर में चढाएं |
फूफू की शादी है चलो धूम मचाएं ,
फूफू की शादी है चलो धूम मचाएं।।आभा।।
No comments:
Post a Comment